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शिक्षा की रोशनी
रामपुर एक छोटा सा गाँव था। जहाँ सोनू अपने दादा जी के साथ रहता था। सोनू के माँ- बाप एक दुर्घटना में बहुत पहले ही चल बसे थे। सोनू और दादाजी यहीं दो से उनका परिवार था, पर माँ बाप की कमी दादा ने नहीं होने दी सोनू को।

सोनू के दादा के पास धन के नाम पर एक भैंस थी जो थोड़ा बहुत दूध देती थी। सोनू बहुत ही मेहनती बच्चा था। वो पढाई भी करना चाहता था, पर दादाजी बहुत बूढ़े थे। ज्यादा काम भी नहीं कर पाते, तो सोनू अपनी पढाई का खर्च उठाने के लिए स्कूल से आने के बाद चाय बना कर केतली में भरकर गांव के ही पास के स्टेशन पर जा कर चाय बेचता है। और दादाजी की मदद भी करता। भैंस को चारा खिलाने और अन्य कामों में भी दादा जी की मदद करता। दादा और पोते की जोड़ी देख गांव वाले भी बहुत खुश होते। रात में सोनू अपनी पढाई भी पूरी करता और रोज स्कूल भी जाता। सोनू पढ़ने में बहुत होशियार था।

कुछ दिनों बाद सोनू के स्कूल में डी एम सर आये और सभी बच्चों से कुछ प्रश्न भी किये पर सबसे ज्यादा जवाब सोनू ने ही दिया। ये देख वे बड़े प्रभावित हुए। और प्रिंसिपल साहब ने बताया कैसे सोनू मेहनत कर अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान देता है। कम सुख सुविधाओं में भी।

ये सुन डी एम साहब ने कहा ये बच्चा बड़ा होनहार है। इसकी पढाई रुकनी नहीं चाहिए। और इसका खर्च मैं दूंगा।

ये सुन सोनू बहुत खुश हुआ। और अपने दादाजी को ये बात बताई। दादाजी भी बहुत खुश हुए , बोले शाबाश बेटा पढ़ना कभी व्यर्थ नहीं जाता है। "शिक्षा की रोशनी" ऐसी रोशनी है जो सारा अंधकार हर लेती है और सबका जीवन रोशन करती है।

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Usha patel