प्रभु साध्य हैं..! संसार साधन है..! हम साधक हैं..!
ईश्वर साध्य है-----
अर्थात हमारे जीवन के लक्ष्य है..। उसको प्राप्त करना यानी स्वयं को पूर्ण करना है। उसी को सच्चिदानंद कहते हैं... सत् (अनन्त सत्ता---), चित(अनंत ज्ञान), आनंद(अनंत आनंद)..।।
1) सत् - संसार में कौन है जो मरना चाहता है, यानी सबको जीवन प्रिय है..
2) चित्- संसार में कौन है जो अज्ञानी रहना चाहता है...
अर्थात हमारे जीवन के लक्ष्य है..। उसको प्राप्त करना यानी स्वयं को पूर्ण करना है। उसी को सच्चिदानंद कहते हैं... सत् (अनन्त सत्ता---), चित(अनंत ज्ञान), आनंद(अनंत आनंद)..।।
1) सत् - संसार में कौन है जो मरना चाहता है, यानी सबको जीवन प्रिय है..
2) चित्- संसार में कौन है जो अज्ञानी रहना चाहता है...