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कभी-कभी मन करता है तुमसे ढेर सारी बातें करे पर तब तुम्हारा न होना तंग करता है
तो मन करता कि “ तुम्हारे ना होने ” से वही बातें करूं जो तुम्हे “ कितनी बार ” सी लगती थी ..

शायद वह तंग आकर मुझे “ तुम्हारे होने ” के साथ छोड़ कर चले जाये ..!!
कभी-कभी छत पर तुम “ अकेलापन ” लगते हो ..ये आकाश , तारे , और छत से दिखता "सबकुछ” जैसे लगता है वो सारी बातों की पोटली जो तुमसे में करना चाहती हूं ..

तुम जो चाहो चुन लो ...!!