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ध्यान की पादान : दुःख दर्द का अवसान
प्रश्न:
आपने अपनी जिंदगी में ऐसी कौन सी नई चीज सीखी, जिसे सीखने के बाद आपने काफी अच्छा बदलाव महसूस किया?

उत्तर:
✍🏼 हमने अपनी जिंदगी में निम्नांकित नई चीज सीखी, जिसे सीखने के बाद हमने काफी अच्छा बदलाव महसूस किया, स्वयं में भी और अपने पर्यावरण में भी !

वह सीख यह है :

"अपने निज-स्वरूप में स्थित रहकर , मन से परे आयाम में जीना"

यही वह अमूल्य चीज हमने सीखी, जिससे कि- हमारी जीवन-शैली व जीवन और जगत के प्रति हमारे नजरिए में क्रान्तिकारी परिवर्तन आ गया।

अब हम सदा जीवन-मुक्ति के आनंद में निमग्न रहते हैं।

जी हां, जीवन से मुक्त होने पर ही असल ज़िन्दगी पकड़ में आती है, अन्यथा फिसली-फिसली और दिशा विहीन गुजरती है।

चलते-चलते यह और बता दें, कि-

यह सीख हमें ध्यान (Meditation) के अनुशीलन तथा ध्यानावस्था में (Meditatively) जीने के द्वारा प्राप्त हुई।

क्या है ध्यान में जीने का अर्थ?
ध्यान में जीने (Living in Meditation) का अर्थ है :
(1) अतीत की यादों और भविष्य की चिंताओं के बिना वर्तमान क्षण को समर्पित भाव से जीना।
(2) चेतना को शरीर और मन से परे स्थित रखना। अर्थात् जाति, पंथ, लिंग, आयु, धर्म, रंग, नस्ल और राष्ट्रीयता से परे खुद को आत्मा के रूप में चिंतन करना।
(3) लोगों से बातचीत करते समय प्रतिक्रिया करने से बचना।
(4) अपने द्वारा की गई भलाई को भूल जाना और दूसरों के द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के लिए उन्हें क्षमा करना।
(5) इच्छाहीनता का अभ्यास करना और जीवन द्वारा जो कुछ भी पेश किया जाता है उसे प्रसन्नता से स्वीकार करना। यह अहम् पर काबू पाने के लिए प्रमुख साधना है। क्योंकि अहम् इच्छा-पूर्ति द्वारा परिपुष्ट होता है।
(6) चीजों और लोगों के प्रति अनासक्ति का भाव रखना।
(7) किसी भी विश्वास-व्यवस्था से बाहर आना। अर्थात् किसी भी पंथ, गुरु, विचारधारा, संगठन आदि का एक अंधभक्त (फॉलॉअर) नहीं बनना।
(8) अपने दिमाग को अपने दिल से संतुलित करना अर्थात् तर्क-संगत किन्तु प्रेम-पूर्ण विचार करना।
(9) हर घटना का सकारात्मक पहलू ही देखना।
(10) अपने वचनों और कर्मों द्वारा दूसरों को उत्तेजित नहीं करना। साथ ही दूसरों के दुर्व्यवहार से उत्तेजित नहीं होना।
(11) दिन भर ईश्वर के प्रति धन्य-भाव  में जीना !
🙏❤️🙏