ज्ञान और प्रज्ञा
ज्ञान और प्रज्ञा क्या है
*ज्ञान क्या है? प्रज्ञा क्या है? वास्तव में ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। लेकिन फिर भी ये दोनों एक नहीं हैं। इनमें बहुत अंतर होता है। पर श्रेष्ठ मानव की परिकल्पना को अर्थात् जीवन दिव्य बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मनुष्य में इन दोनों का होना अनिवार्य है। जब ज्ञान और प्रज्ञा दोनों ही किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व में कार्य करते हैं तो उसके कार्यों की और उसके आंतरिक जगत में हो रही अनुभूतियों की गुणवत्ता में मूलभूत बदलाव आ जाता है। तब किसी वस्तु या विषय या व्यक्ति या परिस्थिति को वह जो है जैसा है समझने की क्षमता आ जाती...
*ज्ञान क्या है? प्रज्ञा क्या है? वास्तव में ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। लेकिन फिर भी ये दोनों एक नहीं हैं। इनमें बहुत अंतर होता है। पर श्रेष्ठ मानव की परिकल्पना को अर्थात् जीवन दिव्य बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मनुष्य में इन दोनों का होना अनिवार्य है। जब ज्ञान और प्रज्ञा दोनों ही किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व में कार्य करते हैं तो उसके कार्यों की और उसके आंतरिक जगत में हो रही अनुभूतियों की गुणवत्ता में मूलभूत बदलाव आ जाता है। तब किसी वस्तु या विषय या व्यक्ति या परिस्थिति को वह जो है जैसा है समझने की क्षमता आ जाती...