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दर्द का रिश्ता.....
दर्द का रिश्ता.....
आज अंजू का दर्द चरम सीमा पर था।उससे करवट भी
लेते नहीं बन रही थी।उसे उठने में चक्कर बहुत आ रहे थे।
बेटा बहू अपने कमरे में थे।आवाज देने पर आते सुनकर चले जाते।अंजू को वो समय याद आ रहा था जब बच्चों के बीमार होने पर वो सारी रात जागकर गुजार देती थी।आज कोई उससे ये नहीं पूछता था कि मां तबियत कैसी है।
अंजू की सोचते हुए आंख भर आयी।उसने अपने सिरहाने से कान्हा जी की तस्वीर निकाली उसपर हाथ फेरा और सोने की कोशिश करने लगी।पति बेटी और दामाद शहर से बाहर गए हुए थे।आज की रात उसे अकेले ही काटनी थी।वो ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी कि उसको चक्कर ज्यादा ना आये जिससे कहीं वो गिर ना पड़े।
कान्हा जी से उसे बहुत प्रेम था वो अपना सुख दुख उनसे ही कहती थी।इस उम्र में भी बच्चे चाहते थे कि वो उनके हिसाब से जिंदगी जिये।जो उसको मंजूर नहीं था।उसका कहना था जब तुम लोग मेरी परवाह नहीं कर सकते तो किस हक से मुझपर बंदिशें लगाते हो।
आप बताइए जो मां सारा जीवन अपने परिवार के लिए समर्पित होती है।उसके बच्चों का बीमार मां के प्रति
कोई फर्ज नहीं बनता।अगर बच्चों का माता पिता केप्रति
कोई फर्ज नहीं है तो माता पिता किसलिए बच्चों के लिए जान देते हैं।अगर आपके घर में बूढ़े माता पिता हैं तो पहले उनकी सेवा करिये।आज आप जो भी हैं उनकी बदौलत हैं। उनका अपमान मत करिए।।
*******अंजली *******