...

1 views

यादें.......
कुछ पल, कुछ घंटे, कुछ दिन, कुछ महीने या कुछ साल.......
सबके जीवन में ऐसा वक्त जरूर होता है जो बहुत अलग होता है। ऐसे वक़्त को अक्सर लोग याद नहीं करना चाहते। उस समय के दिये जख्म कभी भर नहीं पाते, उसका जिक्र भी जैसे दर्द के समन्दर में ज्वार भाटा ले आता है। एक एक पल जैसे फिर से नश्तर चलाता है। और वो उसे मन के किसी कोने में दफन कर देते है l नही चाहते कि कोई भी उस बारे में बात भी करे। ज़िंदगी का वो हिस्सा जैसे काट कर फेंक देना चाहते है l लेकिन खुद को उस से बाहर ले आने के हर प्रयास में असफल ही पाते है। चाहते है कि कोई उनसे बिना पूछे वो सब जान ले और उन्हें निकाल कर इस द्वंद भरे जीवन से कहीं दूर ले जाए। लेकिन हर बार ये प्रयास असफल ही रहता है l जितना उस से दूर जाना चाहते है, उतना ही उस में जैसे और गहरे उतर जाते है l किसी और से ये उम्मीद कि काश वो समझे, उस तकलीफ को थोड़ा और बढ़ा जाती है l
दूसरी ओर, कुछ ऐसे पल होते है जो आपके जहन में बसे तो वैसे ही होते है लेकिन उनका असर और अस्तित्व थोड़ा जुदा सा होता है। उन में भी दर्द हिलोरें मारता है परंतु उसमें साथ ही एक तड़प भी होती है, एक विवशता होती है। ये वो पल होते है, जिन्होंने कभी आपको बेइंतिहा खुशियाँ दी होती है ख्वाब सज़ाने और उन्हे जीने की सहूलियत दी होती है l आप उन्हें भी कहीं छुपा कर रखना चाहते है। किसी खास के जिक्र मात्र से उनमें भी कसक सी उठती है जिन्हें ना आप याद करना चाहते है और ना ही भूलना चाहते है। ऐसे पल ना जीने देते है ना ही खुद से दूर होने देते है शायद हम भी उन्हें दूर नहीं करना चाहते। कहीं ना कहीं ऐसे वक्त को अपनी बेशकीमती दौलत की तरह संभाल कर रखना चाहते हैं। ना याद कर के भी, उन्हें ही याद करते रहते है। जीवन तो अपनी गति से आगे बढ़ जाता है, लेकिन आपका एक हिस्सा वहीं कहीं थम सा जाता है।
यादें..... अच्छी हो बुरी, पीछा नहीं छोड़ती चाहे या ना चाहे, ये अपने होने का अहसास वक़्त बेवक़्त कराती ही रहती है। सच है ना.........

© * नैna *