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*पुनर्निवाह*
*पुनर्विवाह*

"पुनर्विवाह" जिसे दिल और दिमाग़ दोनो से ही स्वीकारना होता है,किसी से जन्मों का रिश्ता बंधना,फिर टूटना और नए व्यक्ति से रिश्ता जुड़ना...! ना ही मन स्वीकार करता है और न तन...!फिर भी कितना जरूरी है ये,इस कहानी में बताने की कोशिश की गई।🙏

"पुनर्विवाह"

आज शेखर की पत्नी सोनाली को मरे पूरे 15 दिन हो गए,सारे रिश्तेदार भी लौट गए।प्रेम विवाह था इसलिए दोनो परिवारों में अनबन थी,और दोनो परिवार उसके दुख में शामिल नहीं हुए।
पत्नी की मृत्यु के शोक में डूबा शेखर सोच ही रहा था कि , झूले में से रोने की आवाज सुनकर बच्चे को संभालने दौड़ा ।घर और ऑफिस दोनो काम संभालना अब शेखर के लिए संभव नहीं था,लेकिन ऑफिस के बिना घर कैसे चलाएगा ,गहरी चिंता में डूबा शेखर..!
तभी शेखर का दोस्त रौनक आया शेखर उसे देख फूट फूट कर रो पड़ा शेखर ने कहा_ ये सब क्या हो गया? उसके बिना जिंदगी संभव नहीं।बच्चे की परवरिश कैसे कर पाऊंगा..?
रौनक ने शेखर को ढाढस बंधाते हुए कहा,_मेरे बॉस की लड़की की अभी अभी शादी टूटी है परिवार वाले दूसरी शादी करवाना चाहते है लड़की बहुत सुंदर और संस्कारी है।मैं चाहता हूं कि तुम...!
"नहीं ये नही हो सकता" ,रौनक की बात को बीच में काटते हुए शेखर ने कहा_ सोनाली मेरी जिंदगी है उसके जाते ही मैं किसी ओर को कैसे उसकी जगह दे दूं।मैं हरगिज़ यह शादी नहीं करूंगा।
शेखर को रौनक ने बहुत समझाया पर शेखर नही माना।कुछ दिन तक आस पास वालों ने मदद की परन्तु फिर वे भी नहीं आए।अब हमेशा तो वे साथ नहीं दे सकते थे।
समय बीतता गया शेखर ने बच्चे की परवरिश बहुत अच्छे से अकेले ही की और उसकी जॉब भी अच्छी कंपनी से लग गई,कुछ दिनों बाद उसको विदेश की कंपनी से ऑफर मिला और वो मना नही कर सका ,शेखर जिसने पूरा जीवन तपस्या करके उसे पाल पोस कर बड़ा किया, उन्हें वह साथ नहीं ले जा सका।"जल्द ही आ कर आपको भी ले जाऊंगा "ऐसा कह कर वह फिर कभी नहीं लौटा।
शेखर की जिंदगी अब बदतर हो गई,खाली बंगला उसे खाने को दौड़ता पत्नी सोनाली और बेटे को याद करता और रोता रहता।
शेखर के हालात दयनीय और सोचनीय थे,रौनक उसकी देख भाल कर रहा था।अभी शेखर की उम्र लगभग 50 साल होगी।रौनक ने आज फिर शेखर को समझाया कि अकेले तन्हा जिंदगी का शेष सफर नहीं कटेगा तुम मान जाओ और अब भी समय है मेरे बॉस की लड़की ने भी शादी नहीं की। शेखर चुप चाप उसकी बात सुनता रहा लेकिन कुछ नहीं बोला। एक दिन पता चला कि उसके बेटे ने विदेश में शादी कर ली और अब लौटना संभव नहीं।
ये जान कर रौनक अपने बॉस की बेटी के साथ शेखर से मिलने आया । थोडी आनाकानी के साथ आखिर शेखर पुनर्विवाह को राजी हुआ।दोनो ने कोर्ट में विवाह किया और एक अनाथ बच्ची को गोद ले लिया।दोनो ने अपने जीवन की नई शुरुआत की। शेखर भी अब पुराने दुख भूल कर नए जीवन को जी रहा था।

पुनर्विवाह मजबूरी नहीं जरूरी है क्योंकि कोई किस हालत से गुजर रहा है ये सिर्फ वो ही जानता है।
कहीं बुजुर्ग माता पिता,तो कहीं नन्हे बच्चे, कहीं तलाक का दंभ झेलते नव युवक युवती और कहीं अकारण ही टूटती शादियां ।जीने के लिए साथी बहुत जरूरी है इसलिए पुनर्विवाह जरूरी है।

🙏 पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏


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