...

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तू थी तुझे लिखता था...
मोहब्बत की राह में नफरत मिला।
इबादत की राह में बगावत मिला।

हम सोचे ना थे मेरे लिए तेरे लफ्ज़ ऐसे होंगे,
बता उस लफ्ज़ के बदले तुझे क्या मिला?

चल शुरुआत की एक बात याद कर।
मैं अगर झूठा तो खुदा से एक फरियाद कर।

बोल अपने उस रब को मेरी मौत हो जाए,
तू रह जिंदा और खुद को आबाद कर।

और एक बात सुन....

तू साथ थी, “होती है तेरी कमी” लिखता था।
तू हंसती थी और मैं नमी लिखता था।
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