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मैं और मेरी तुफानी यात्रा…
सफ़रनामा - मैं और मेरी तुफानी यात्रा

बीते दिनों से हिमाचल यात्रा पर हूँ, जिस दिन महात्रासदी आयी हम लोग शिमला से किन्नौर की तरफ़ थे। हमें स्पिती जाना था।

किन्नौर घाटी की शुरुआत ज्यूरी के आस-पास से होती है जिसका पहला चेकपोस्ट चौरा में पड़ता है, उस दिन हम भी चौरा के पास बधाल में फँसे हुए थे अन्य पर्यटकों की तरह ही क्यूँकि आगे पागलनाले पर भूस्खलन के चलते रास्ता बंद था।

दिन भर बधाल रूकने के बाद हमने सराहन जाना बेहतर समझा जोकी कालान्तर में शोणितपुर के नाम से जाना जाता था और भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र पद्मनाभ ने यहाँ बाणासुर की पुत्री से विवाह कर अपना शासन स्थापित किया था जिनके वंशज रामपुर बुशहर राजा दिवंगत वीरभद्र सिंह जी थे।

सराहन में लगभग तीन-चार दिन फँसे रहने के पश्चात हमने वापस शिमला लौटते हुए काँगड़ा की तरफ़ रुख़ करना बेहतर समझा क्योंकि अब स्पिती पहुँचना लगभग नामुमकिन था हमारे लिए।

आज सुबह हम बैजनाथ महादेव के दर्शन करते हुए काँगड़ा में प्रवेश कर गए फ़िलहाल हम पालमपुर होते हुए धर्मशाला जा रहे हैं।

ख़ैर कहते हैं ना की जहाँ जहाँ पाँव पड़े संतों के वहीं वही बंटाधार….आज हमारे पावन कदम काँगड़ा की और है और यहाँ भी आज येलो अलर्ट जारी हो गया है 😁🙏

ख़ैर सफ़र अभी है, अभी और अलर्ट जारी होने बाक़ी है…ज़िन्दगी की कहानी में अभी और बहुत से रहस्य-रोमांच बाक़ी है।

तब तक के लिए ईश्वर सब पर कृपा करें।

✍️ विक्की सिंह
पालमपुर, हिमाचल
© theglassmates_quote