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"गोद भराई"
कामिनी की आज गोंद भराई है।घर में बहुत चहल पहल और खुशी भरा माहौल है।खास कर उसकी सासुमा जो पोते पोतीं की चाह में क्ई वर्षों से घुली जा रही थी।
दरअसल विवाह के चार वर्ष बाद कामिनी ने सबको खुश खबरी सुनाई थी।असल में मोहित से शादी कामिनी की ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए ही हो गई थी। दोनों साथ में ही पढ़ते थे, कामिनी अपने नाम के हीं अनुरूप बहुत सुंदर थी उधर मोहित भी अपने नाम के अनुरूप सुदर्शन युवक था, दोनों ही मेधावी छात्र थे अक्सर नोट्स और लेक्चर के सिलसिले में दोनों की बातें होती रहती थी। साथ पढ़ाई और रोज मिलने के दौरान दोनों कब करीब आ गए उन्हें पता ही नहीं चला। फिर दोनों ने फैसला किया कि पढ़ाई पूरी होते ही दोनों विवाह कर लेंगे मगर दोनों का एक दूसरे के बगैर रहना बेहद मुश्किल हो रहा था, दोनों जब तक एक दूसरे को देख न लेते उन्हें चैन नहीं आता था। मोहित एक संभ्रांत परिवार से ताल्लुक रखता था। पिता का डायमंड का बिजनेस था जिसे आगे जाकर मोहित को ही संभालना था। इसलिए उसके घर में उसके फैसले से किसी को कोई आपत्ति नहीं हुई क्योंकि कामिनी के पिता और मोहित के पिता दोनों मित्र थे। अंततोगत्वा दोनों का विवाह धूमधाम से हो गया।
कुछ दिन तो सब ठीक-ठाक रहा दोनों साथ में ही कौलेज जातें और वापिस आते। दोनों का ये तृतीय वर्ष था। विवाह के करीब ६ महीने बाद ही सासुमा कामिनी से पोते पोतीं की मांग करने लगीं जो कामिनी को बहुत अजीब लगीं, वो अभी और पढ़ना चाहतीं थीं और मोहित की मां पोते पोतियों के सपने सजाए बैठी थी।एक दिन रात को कामिनी ने इस बाबत मोहित से बात की तो मोहित कामिनी को सांत्वना देते हुए बोला ठीक है तुम जितना पढ़ना चाहों पढ़ों फिर बच्चे के बारे में सोचेंगे और वैसे भी अभी हमारी उम्र ही क्या है?
कामिनी निश्चिंत हो गई और मन लगाकर अपनी पढ़ाई में जुट गई।
देखते ही देखते कामिनी ने पोस्ट ग्रेजुएशन भी कर लिया।इस बीच तीन साल गुजर गए।अब मोहित की मां का मुंह अक्सर फूला रहता, कामिनी सब समझती थी लेकिन वो चुप रहती। फिर एक दिन जब उसने मां जी को खुश खबरी सुनाई तो वो बहुत प्रसन्न हुईं और बोलीं चलों आखिर तुमने खुशखबरी तो सुनाई!!
और आज उसकी गोद भराई है,हर किसी के चेहरे पर मुस्कान है मगर कामिनी सोच में डूबीं है। आखिर क्यों एक स्त्री से लोग केवल यही उम्मीद करते हैं कि विवाह होते ही वो बच्चा पैदा कर दे। क्यो नहीं उसे भी कुछ वक्त दिया जाता कि पहले वो नये माहौल में पहले खुद को ढाल ले,घर गृहस्थी में पहले खुद परिपक्व हो जाएं फिर बच्चे को जन्म दे ताकि आने वाला बच्चा उसके लिए बोझ नहीं खुशियों का सबब बन जाएं। रात को जब वो अपने कमरे में आई तो मोहित को देखते ही उसकी आंखें भर आईं तो मोहित बोला क्या हुआ?इस पर कामिनी ने कहा यदि आपने मेरा साथ न दिया होता तो आज मैं पढ़ाई अधूरी ही छोड़ कर बच्चे संभाल रही होती। मोहित ने कामिनी को बांहों में भरते हुए कहा "पगली शिक्षा जितना पुरूषों के लिए जरूरी है उतना ही एक स्त्री के लिए भी जरूरी है।अगर आज मुझे कुछ हो जाए तो कम से कम तुम एक जौब करके अपने परिवार को तो संभाल सकती हो। कामिनी ने मोहित के होंठों पर अपने हाथ रख दिए और दोनों मुस्करा उठें।
(समाप्त)-लेखन समय - शाम 4:10
शुक्रवार


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