...

15 views

प्रेम और पीडा ( तिसरा भाग )
डिनर के बाद दोनो बेड रूम रूम मे आगये, अब माधवी को लगने लगा था कुछ तो बात तो है ?? या तो परिवार मे कुछ उलझन है, या किसी दोस्तों के साथ कुछ गलत हुआ है जिसे कमल उसे बताना नही चाहता है।
बेड पे आते ही कमल का विनोद शुरू हो जाता था, प्यार मे कितनी चुहलबाजियां माधवी का रोम रोम हर्षित होता है कमल के अंदाज ए मुहब्बत से। माधवी को ये कभी खयाल मे भी नही आया था कि कोई उसके लिए इतना भी दीवाना हो सकता है, इतनी शिद्दत से कोई चाह सकता है, उसने किस्से कहानियों मे ही पढा था देखा या सुना नही था।
कमल ने राधा कृष्ण की प्रेम लीला के बहुत सारे पलों को इस तरह बयान किया कि माधवी स्वयं मे राधे को पहचानने लगी और कमल को कृष्ण मानने लगी। अनेको बार ऐसा हुआ की जब पूजा करने बैठती तो ध्यान करती कृष्ण का और छवि कमल की उभरती थी मानस पे। प्रेम मे डूबी माधवी को कृष्ण मे कमल और कमल मे कृष्ण नजर आते थे।
धरा पे ऐसे युगल प्रेमी नही मिलते कहीं। आज भी कमल ने राधा और रूक्मिणी के प्रेम मे अंतर की बात सुना रहा था और माधवी तन्मयता से सुन रही थी । माधवी ने पूछा अच्छा बताओ तुमने राधा और रूक्मिणी के प्रेम को तो बताया , पर ये बताओ कृष्ण का प्रेम किससे ज्यादा था वो रूक्मिणी को ज्यादा प्रेम करते थे या राधा को??
कमल ने कहा " माधवी कृष्ण के प्रेम मे सिर्फ राधा और रूक्मिणी ही नही थे आठ पटरानियां थी, इसके अलग राधा थी , अब ये कहना तो बहुत मुश्किल है कि वो किससे ज्यादा प्रेम करते थे ।
रात बहुत हो गई है चलो सोए अब, सदा की तरह कमल ने अपनी बाई बाहें खोल दी और माधवी उसे अपना सिरहाना बना उसपे अपना सर रखके कमल से लिपट गयी , कमल अपनी दाई भुजा से उसे कसके अपने और करीब लाकर उसके कपोल पे अपने होठ रख दिया , माधवी की पलके बंद हो गई तब कमल ने उसके दोनो पलकों को बारी बारी से चूम लिया । माधवी परमानंद मे डूबी जा रही थी।
कमल अकसर कहा करता था " माधवी जब मै तेरे कपोल चूमता हूँ तो मै योग मे रहता हूँ जैसे ऋषि मुनि योग करते है वैसे ही अपने शरीर से बिलकुल अलग रहता हूँ और जब तेरे होठों पे अपने होठ रखता हूँ तो समझ लो मै साधना मे रहता हूँ , वासना कही लेशमात्र भी नही होता।
माधवी को कमल की बातें समझ मे नही आती थी उसे लगता ये किस युग का है कमल??
सुबह नहा धोकर नाश्ता किया और माधवी से बोला आता हूँ थोडी देर मे‌ और डाक्टर आहूजा के क्लिनिक मे पहुँच गया। आहूजा
कमल की प्रतिक्षा ही कर रहे थे
" आओ कमल मै तुम्हारी प्रतीक्षा ही कर रहा था आज के सारे एप्वाइटमेंट मैने कैंसिल कर दिया है "
कमल तुम मुझे ये बताओ कि जब तुम खेल के दौरान बेहोश हुए थे उस दौरान की बातें तुम्हे याद है?
" कमल ने नही मे सिर हिला दिया "
तुम्हारे परिवार मे और किसिके साथ ऐसा हुआ था?
" नही कमल ने कहा "
अच्छा ठीक है कभी तुम्हारे सर मे भयंकर पीडा हुई थी ?
या कभी तुम्हारे सर मे चोट लगी थी??
" मुझे तो याद नही हां सर मे पीडा तो कभी कभी बहुत तेज होती है कमल ने कहा
अच्छा तुम चेंजिंग रूम मे चेंज करके आओ
डाक्टर आहूजा ने कमल से कहा।
जब सी टी स्केन की रिपोर्ट डाक्टर आहूजा ने देखा तो सर पकड के बैठ गये
उन्होने खुद को पहले सम्भाला , ‌और सोचा मै डाक्टर हूं मरीज से ये बात कैसे छुपा सकता हूँ
पर मरीज मेरा प्यारा दोस्त है, इश्वर ने ये क्या विपत्ति दे दी कमल को। बचपन से कमल को जानता हूँ, बडी मुश्किल से माधवी के आने के बाद से तो तो कमल व्यवस्थित हुआ था। इतना जिंदादिल इंसान को इश्वर ने किस बात की सजा दे रहा है, कमल अब कुछ ही महीनो का मेहमान है ये सोचकर डाक्टर आहूजा की आंखे नम हो गई, इन दिनों मे कमल जितनी ज्यादा खुश रहे उसके लिए उतना ही अच्छा है
आहूजा उलझन मे ही थे कि कमल अपने कपडे पहन कर आगया और आहूजा को इस हालत मे देखकर सबकुछ समझ गया ।
डाक्टर के कुछ कहने से पहले ही कमल बोल पडा, " यार ज्यादा दुःखी होने की जरूरत नही है सबको जाना ही होता है, कोई बाद मे कोई पहले, मुझे इस बात की बहूत खुशी है कि मै अपने सभी दोस्तों से पहले जा रहा हूँ, वरना तुमलोगों की मौत मै कैसे बरदास्त करता।
मेरा इश्वर मुझपे कितना दयालू है थैक गाॉड,कमल ने छत की ओर देखकर विश किया।
( प्रेम और पीडा का चतुर्थ भाग मे जानिए आगे क्या होता है)