Chapter 9 अतीत में वापस..
चलिए फिर से पीछे अतीत में चलते हैं और जानते हैं कि मोहनलाल को पत्र मिलने के बाद क्या हुआ।😌
मोहनलाल को पत्र मिलने के बाद नागराज सांप में बदल गया। कुछ देर बाद देविका, दक्ष और मोहनलाल मंदिर से पत्र और किताब लेकर लौट रहे थे।💭
रास्ते में अचानक तेज बारिश होने लगी। बारिश की वजह से पत्र और किताब भीग गए। .☹️
इस सबके बीच मोहनलाल ने पत्र को एक किताब में रखकर अपने पास रख लिया और एक अतिरिक्त कपड़े से ढक दिया।💔
चलते-चलते बहुत देर हो गई, लेकिन बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। तीनों बीच में एक बड़े बरगद के पेड़ के नीचे एक साथ रुक गए। ⏳
मोहनलाल पत्र और दोनों बच्चों को संभालता है और उन्हें पेड़ के नीचे बैठा देता है। पेड़ के पास बहुत सी झाड़ियाँ हैं, हो सकता है झाड़ियों के अंदर साँप और बिच्छू हों।💬
"पापा, यह पेड़ खतरनाक लग रहा है," देविका ने कहा। "हाँ, पर हमें यहीं रहना है," मोहनलाल ने कहा। "जब तक बारिश नहीं रुक जाती, हम यहीं रहेंगे।" दक्ष ने आँखें उठाईं और पेड़ के अन्दर देखा। "यहाँ कोई साँप या बिच्छू है?" उसने पूछा।😝😃
"चुप रहो दक्ष," मोहनलाल ने कहा। "हम जल्दी ही निकल जाएँगे।" "अच्छा, अब क्या?" देविका ने पूछा।
"हम बारिश रुकने तक यहीं रहेंगे," मोहनलाल ने जवाब दिया। "फिर हम घर चलेंगे।"
तीनों पेड़ के नीचे बैठकर आराम कर रहे थे। झाड़ियों से एक साँप निकलकर मोहनलाल के सामने खड़ा हो गया। मोहनलाल हाँफने लगा; वह बहुत डरा हुआ था। देविका और दक्ष को एक तरफ धकेलकर मोहनलाल साँप के सामने खड़ा हो गया। पेड़ की एक शाखा नीचे की ओर झुकी हुई थी; डर के मारे उसने पेड़ की उस शाखा को तोड़ दिया और उसे हाथ में पकड़ लिया। मोहनलाल खुद भी बहुत डरा हुआ...
मोहनलाल को पत्र मिलने के बाद नागराज सांप में बदल गया। कुछ देर बाद देविका, दक्ष और मोहनलाल मंदिर से पत्र और किताब लेकर लौट रहे थे।💭
रास्ते में अचानक तेज बारिश होने लगी। बारिश की वजह से पत्र और किताब भीग गए। .☹️
इस सबके बीच मोहनलाल ने पत्र को एक किताब में रखकर अपने पास रख लिया और एक अतिरिक्त कपड़े से ढक दिया।💔
चलते-चलते बहुत देर हो गई, लेकिन बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। तीनों बीच में एक बड़े बरगद के पेड़ के नीचे एक साथ रुक गए। ⏳
मोहनलाल पत्र और दोनों बच्चों को संभालता है और उन्हें पेड़ के नीचे बैठा देता है। पेड़ के पास बहुत सी झाड़ियाँ हैं, हो सकता है झाड़ियों के अंदर साँप और बिच्छू हों।💬
"पापा, यह पेड़ खतरनाक लग रहा है," देविका ने कहा। "हाँ, पर हमें यहीं रहना है," मोहनलाल ने कहा। "जब तक बारिश नहीं रुक जाती, हम यहीं रहेंगे।" दक्ष ने आँखें उठाईं और पेड़ के अन्दर देखा। "यहाँ कोई साँप या बिच्छू है?" उसने पूछा।😝😃
"चुप रहो दक्ष," मोहनलाल ने कहा। "हम जल्दी ही निकल जाएँगे।" "अच्छा, अब क्या?" देविका ने पूछा।
"हम बारिश रुकने तक यहीं रहेंगे," मोहनलाल ने जवाब दिया। "फिर हम घर चलेंगे।"
तीनों पेड़ के नीचे बैठकर आराम कर रहे थे। झाड़ियों से एक साँप निकलकर मोहनलाल के सामने खड़ा हो गया। मोहनलाल हाँफने लगा; वह बहुत डरा हुआ था। देविका और दक्ष को एक तरफ धकेलकर मोहनलाल साँप के सामने खड़ा हो गया। पेड़ की एक शाखा नीचे की ओर झुकी हुई थी; डर के मारे उसने पेड़ की उस शाखा को तोड़ दिया और उसे हाथ में पकड़ लिया। मोहनलाल खुद भी बहुत डरा हुआ...