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✨ गांव की एक भोर ✨

ब्रम्ह्म मुहुर्त का समय है चारों ओर धुप्प अंधेरा है वातावरण में निस्ब्धता छाई है । मानव, पशु,पक्षी अपने-अपने बसेरे में निद्रा में निमग्न है ।तमस का साम्राज्य अपने चरम पर है । गगन में कुछ तारे टिम टिमा रहें हैं पर तमस के साम्राज्य से मानों निस्तेज से है । तमस यूं गौरवान्वित है मानों जैसे अब चिरकाल तक उसका ही साम्राज्य होगा ।यूं ही अंधेरा चारों ओर फैला रहेगा ।

कुछ वक्त गुजरता है ...आलोक की कुछ किरणें गुप्त योद्धा की मानिंद तमस के साम्राज्य में प्रवेश कर जाती हैं । तमस अपने गर्व में चूर, आलोक की गतिविधियों से अनजान है। उन कुछ किरणों के संकेत पर कुछ और सेना तेजी से तमस के साम्राज्य में फ़ैल जाती है। तमस बंदी बना लिया जाता है।
वह हक्का बक्का सा ताकता रह जाता है। कहां ऐसा लग रहा था कि तमस का साम्राज्य कभी अंत नहीं होगा, कहा कुछ ही पलों में उसका अस्तित्व ही नेस्तनाबूद हो गया है।
इस तरह एक नई भोर का आगाज होता है...

आलोक का...