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वो किताब
यह बात तब की है जब हमारी उम्र बहुत कम थी। हमने चौथी कक्षा की परीक्षा दी थी। पापा जी मीटिंग के काम से किसी दूसरे शहर गए थे। वहाँ से लौटते वक़्त उन्होंने हमारे लिए एक किताब खरीदी.. "कहानी की किताब" और घर आते ही हमें थमा दी। हम बहुत ख़ुश हुए थे। हमें आज भी याद है वो किताब 'अकबर और बीरबल' नाम की थी। कुछ दिनों बाद अचानक पता चला कि पापा जी ने किसी दूसरे शहर में ट्रांसफर करा लिया है। पूरा सामान पैक किया जा रहा था। बड़े बड़े बॉक्स में सामान रख कर उसकी पैकिंग हो रही थी। मगर वो किताब जिस दिन से आई थी हमारे हाथ में ही...