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बलात्कारी और बलोजरी संवाद कन्या के होश में आने के बाद।।
यह अध्याय अपूर्ण है क्योंकि बलात्कारी कन्या को फूलकेशवरी फूल बेचने वाली की सहायता द्वारा कुछ उपाचार की अवसथा में रखने का इंतजाम तो कर लेता मगर जब वो उसकी दूसरी रात उसे अपने गांव लाता तो सबुह दौरे पर आए एक राजा उसे और एक अन्य कन्या को एक साथ गंभीर रूप में पाते अपने सैनिकों फौरन हुक्म करते की बलात्कारी को कन्या से अलग कर दिया जाए और कन्या को अपनी हिरासत में ले लेता है मगर वो बलात्कारी कुछ डरकर बोलते हुए कहता कि महाराज मैं वो...उसकी बात को काटकर कन्या को हिरासत में लेने का ऐलान करता और फिर बलात्कारी द्वारा राजा पर कहता उसके महल जाकर की एक बार बताइए तो वो कैसी मगर राजा क्रोध करते कहता कि ठीक है वो ।।
और फिर बलात्कारी द्वारा राजा के खिलाफ आवाज उठती और जंग का ऐलान हो जाता है जिसमें बलात्कारी हार जाता है और कन्या बलजोरी भी राजा की कालकोठरी में अब जब दोनों कैद तो धीरे धीरे वो एक दूसरे को मिलने की मे प्राण गवा बैठते हैं।। मगर यहां गलती बलात्कारी की थी।।
क्योंकि उसने उसे बजाया इन्सानियत के खातिर मगर फिर वो एक वासना बन जाती या प्रेम यह कह पाना मुश्किल है।। एक कन्या और बलात्कारी का संवाद असफल हो गया।।
मगर कौन है जो बता सकता अगर वार्तालाप संवाद पूर्ण हुआ होता तो क्या पैदा हो जाता प्रेम या वसना।।
#अपूर्ण संवाद।
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