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भारतीय मुसलमान : पहले एक इंसान
प्रश्न: आपके अनुभव के आधार पर, भारतीय मुसलमानों के प्रति आपकी मान्यताएं क्या हैं?

उत्तर:
✍🏼 हमारे अनुभव के आधार पर, भारतीय मुसलमानों के प्रति हमारी मान्यताएं सकारात्मक हैं।
वे भारत की सौहार्दमय एवं वैभिन्यमय
जन-पुष्प-वाटिका में खिल रहे अपनी तरह के पुष्प हैं।

उनका जीवन अन्य तरह‌ के पुष्पों के साथ गुंथा हुआ है।

किन्तु सभी धर्म और समुदाय के कुछ नासमझ लोग राजनीतिक व धार्मिक नेताओं द्वारा परोसे जा रहे कट्टरपंथ और एक-दूसरे के प्रति दुर्भावनापूर्ण/पूर्वाग्रह-युक्त भाषणों के आगे घुटने टेक कर नफ़रत का रायता फैला रहे हैं!

यह अखण्ड भारत की विविधतापूर्ण इंद्रधनुषी संस्कृति के अनुरूप नहीं है।

ध्यान रहे, भारतीय संस्कृति सदा से सर्वसमन्वयकारी रही है। यह उसका स्वभाव है। उसे उसके स्वभाव के विपरीत भेदभाव की आग में नहीं झोंका जा सकता। हम परस्पर टकराहट रखते हुए भी अनेकता में एकता का आदर्श कभी नहीं छोड़ेंगे।

गनीमत है, भेदभाव-युक्त दृष्टि वाले लोग मुट्ठी भर हैं।

अधिकांश लोग समाज में हिलमिल कर रह रहे हैं, और एक-दूसरे पर अन्तर्निर्भर होने के कारण अपृक्करणीय हैं।

समझने वाले इस तथ्य को समझते हैं व नफ़रत की आंधी से बचे हुए हैं। वे इस नफ़रत का भौतिक और मानसिक अनुमोदन नहीं करते।

इसके साथ ही वे अपने इस दायित्व के प्रति सजग हैं, कि- सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले अलगाव-वादी मसलों को निहित स्वार्थों द्वारा भड़कायी हुई सियासी आग समझकर‌ धैर्य और समझ से काम लें, तथा अपने आपसी स्नेह सौहार्दमय व्यवहार को आंच न आने दें।

भारत का अतीत अखंड भारत है। भारत का भविष्य अखण्ड भारत है। इस भविष्य को चरितार्थ करने के लिए हमें वर्तमान में छा रहे अलगाव-वादी कुहरे से बाहर निकलना होगा। इसके लिए हमें सभी धर्मों व समुदाय के अलगाव-वादी नेतृत्व की उपेक्षा करनी ही होगी।

हर भारतवासी पहले एक इंसान है, फ़िर वह भारतीय ‌‌‌‌है। और इसके आगे हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई होना उसका नितांत व्यक्तिगत मामला है।

हमें एक ही‌ बिन्दु पर एकजुट रहना है, कि — हम भारतीय हैं, और हमारे दिल में एक-दूसरे की धार्मिक-आस्था के‌ प्रति पूरा सम्मान है।

एक-दूसरे की मजहबी आस्थाओं और ग्रन्थों पर तंज कसना राजनीति-प्रेरित ओछी मानसिकता का प्रतीक है। इससे हमें बचना है और अगली पीढ़ी को‌ इस कट्टरपंथ के खिलाफ खड़ा करना है।

भविष्य का भारत ऐसा ही है।

वर्तमान में मौजूद कट्टरपंथ की आंधी हर धर्म और समुदाय के कुछ नासमझ लोगों को बहाकर ले जाएगी, किन्तु अन्तत: वह शान्त होगी।

फ़िर शेष बचेगा सभी धर्म व समुदाय के लोगों के बीच पलता परस्पर स्नेह व सामंजस्यपूर्ण नाता।

क्योंकि- अधिकांश लोग नफरत से नफरत करते हैं।

भेदभाव से परे रहकर एक-दूसरे के प्रति सद्भाव रखते हुए जीने का‌ आनन्द वे अभी भी ले रहे हैं। आगे भी लेते रहेंगे।यही सच‌ है। और सत्यमेव जयते!

मेरे भारत के लोग इस सत्य‌‌ में जागें, और बस प्रेम का राग अलापें, परवरदिगार से यही मनोकामना है।

अस्वीकरण:

कृपया इस उत्तर को उत्तर/दक्षिण पंथ से जोड़ कर न देखें। कट्टरपंथ की तरह हम हर पंथ के खिलाफ हैं। मानवीयता के मद्देनजर हमने यह उत्तर लिखा है।