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दर्द
दवाई और दिल पर आधारित काल्पनिक कहानी

दिल - मैं किसे कहु अपना दर्द
दवाई - जो सुनना चाहे अंदर रखोगे तो कमजोर ही होना है
दिल - तो क्या दवा ही उपाय है
दवाई - हर बार दवाई ही solution नहीं होती कभी कभी घूमने जाने से भी फर्क होता है और तुम पर पूरा शरीर निर्भर करता है
दिल - बात तो सही है
दवाई - कोई अपना भूल गया दर्द मे आ जाते
किसी अपने ने आंसू दिए दुःख मे आ जाते
दिल - तुम तो मस्तिष्क जैसी बात कर रहे हों
दवाई - तुम सभी का सोचते पर खुद को भूल जाते क्या खुद को समय देते
दिल - नहीं
दवाई - तुम्हारा समय खुद के लिए है ही नहीं है ना नहीं तो खुद को इग्नोर ना करते
दिल - मुझे कुछ भी सहन नहीं हो पाता ना ज्यादा तेज आवाज ना ज्यादा खुशी
दवाई - ये तुम्हारी ही नहीं कई और की भी समस्या होती है तुम्हारा सीधा असर बॉडी पर पड़ता इसलिए तुम अपना ध्यान रखो
दिल - क्या कॉमेडी से फर्क होगा
दवाई - हाँ जो लोग नशा करते पहले उनका मुँह फिर धीरे धीरे करके दिल भी सुस्त हो जाता
दिल - पता नहीं क्यों करते लोग ऐसा ?
दवाई - कभी खुशी मे कभी गम को दबाने
दिल - जिसका परिणाम मुझे लाचार कर देते
दवाई - एक और भी कारण है कुछ लोग दौड़ना शुरू करते हैं पर उनका शरीर जितना दौड़ सकता है उससे ज्यादा दौड़ने लगते जिसका परिणाम थकने लगते
कोई भी काम लाभ जितना हो तो लाभ होता शरीर पर क्या परिणाम होगा ये भी सोचना चाहिए ।

समाप्त
18/6/2024
2:18 प्रातः
© ©मैं और मेरे अहसास