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"समय से परे एक इश्क़"
दीपाली ने आज सुबह से ही ढेर सारे पकवान बनाए थे और खाना भी ख़ुद बनाया था, मां को तो आज उसने किचन में घुसने ही नहीं दिया था।बस वो अपने प्रिय भाई का इंतजार कर रही थी क्योंकि आज भाई-दूज है तो वो खुद अपने हाथों से अपने भाई को खाना बनाकर खिलाती थी हर साल,बस भाई जल्दी आएं। नहीं नहीं उसका भाई कहीं बाहर से नहीं आ रहा वो तो बस अपने लैब नुमा कमरे से बाहर आ रहा है। दीपाली का भाई दीपक एक साइंटिस्ट है। साइंस में पी.एच.डी करने के बाद उसने उपर वाले माले पर अपने दो कमरे बनाए।एक जिसमें वो केवल रात को ही जाकर सोता था दूसरा जिसमें उसने अपनी विशाल प्रयोगशाला और लैब बना रखा था।घर में सभी को मालूम था कि वो अतिव्यस्त रहता है और कुछेक मामलों को छोड़कर वो कमरे से बाहर नहीं आता था। खैर बहन के आग्रह पर आज वो फिर बाहर आया था।
दीपाली ने दीपक के माथे पर तिलक लगाया और उसका मुंह मीठा कराया।वो भाई की ओर देखने लगी कि देखें इस बार उसे भाई से क्या गिफ्ट मिलता है।
दीपक ने मुस्कुरा कर उसके माथे पर हाथ फेरा और बोला तुझे समय से पीछे जाने का बहुत शौक है न!तो आज तेरे बड़े भाई ने तेरा ये शौक़ पूरा कर दिया है। दीपाली खुशी से चिल्ला पड़ी और अपने भाई के गले लग गई।दीपक ने उससे कहा चल मेरे साथ और वो दीपाली को अपने लैब में ले गया दीपाली दीपक के विशाल लैब को देखती रह गई हर ओर अद्भुत और अजीबो-गरीब वस्तुओं की भरमार थी क्योंकि दीपाली ने आज पहली बार दीपक के लैब को देखा था। दीपक ने उसका हाथ पकड़ा और एक ओर ले गया वहां एक विशालकाय चेयर रखा था जिसके दोनों ओर हरे नीले पीले बटन थें दीपक ने दीपाली से कहा ये है मेरी सालों की मेहनत का नतीजा मेरी टाईम मशीन।
दीपाली केवल फटी फटी आंखों से कभी अपने भाई तो कभी उस टाइम मशीन को देखती रही।दीपक ने उससे कहा इस चेयर पर बैठते ही तू जिस भी समय में जा सकती है। दीपाली ने उत्सुकता वश कहा भैया मैं उस समय जाना चाहतीं हूं जब राजा रजवाड़ों का राज़ था मैं उनका वैभवशाली जीवन देखना चाहती हूं।
दीपक ने दीपाली से कहा ठीक है फिर इस चेयर में बैठ जाओ तो दीपाली बैठ गई उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। उसके बैठते ही दीपक ने उसके हाथों में घड़ी जैसा एक यंत्र पहना दिया और कहा जब भी तुझे वापस आना हो इस पर इस सदी का सन टाइप कर देना।और फिर उसने दीपाली को समझाया देखो ये नीला बटन पिछले समय का पीला अभी यानी वर्तमान और हरा भविष्य का है।अब बैठो मैं तुम्हें पिछले समय पर भेजता हूं।वापस आकर वहां के समस्त अनुभव बयान करना और ये कहते हुए उसने नीला बटन दबा दिया।पलक झपकते ही दीपाली एक रेतीले जमीन पर आ गई।कुछ दूर चलने पर उसे एक विशाल महल दिखाई दिया दीपाली उस भव्य महल को देखती ही रह गई और आगे बढ़ने लगी।इस बीच यहां आने से पूर्व उसके बड़े भाई ने उसके लिए पूराने समय के अनुसार वस्त्र भी दिए थे। दीपाली चलती रही और चलते चलते वो आख़िर महल तक पहुंच गई। लेकिन महल के भीतर उसे किसी ने प्रवेश करने नहीं दिया तो वह दुखी होकर वहीं एक पेड़ के नीचे जाकर लेट गई। क्या दीपाली महल में प्रवेश कर सकेंगी क्या उसे उसके तमाम कोतुहल भरे प्रश्नों के उत्तर मिल सकेंगे जानने के लिए पढ़िए इस कहानी का अगला भाग।
लेखन समय 3:00- बृहस्पतिवार 18.4.24


© Deepa🌿💙