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प्रेम और पीडा
कल तक हसता खेलता , गहन गंभीर माहौल को अपने मृदु वचन से खुशनुमा करने वाला कमल आज स्वयं निस्तब्ध है, किंकर्तव्यविमूढ़
है उसके भविष्य के सपनों का महल आज अचानक भरभराकर जमीनदोज
हो गये है।
अपने प्रिय जीवन संगिनी के साथ जीवन के हजारों ख्वाब सजाकर रखे थे अब उनका क्या होगा । अभी अभी तो उसने जीना सिखा था
, माधवी के आने से उसका घर आंगन और जीवन महकने लगा था, उसके पहले बस सांसे
ले रहा था एक कर्ज की तरह। सोंचा, माधवी के मन की बगिया को अनगिनत फूलो से महका देगा, उसके जीवन के सूनापन मे अपने
ह्रदयांश के नन्हे, नन्ही के मधुर किलकारियों से गुंजायमान कर देगा।
यूँ तो माधवी कमल का साथ पाकर परिपूर्ण हो गई थी, कमल के मासूम शरारतो से वो आनंदित होती रहती है, एकदम बच्चों सी हरकते करके वो माधवी को हंसाता रहता है, हर घडी उसके आगे पीछे डोलता वो माधवी को बहुत प्यारा लगता था।
पर आज जब कमल बैडमिंटन खेल रहा था तो उसे चक्कर आ गये और वो वही गिर पडा, दोस्तों ने उठाकर क्लब मे ले गये पंखे के नीचे रखा।
जब कमल की आंखे खुली तो वो समझ नही पाया क्या हुआ है, उसने प्रश्न भरी निगाहों से सबको देखा, सबने एकसाथ यही पूछा, क्या हुआ कमल... सब ठीक तो है...?? पर तुमलोग ऐसे मुझे यहाँ क्यों लाए हमलोग तो खेल रहे थे?
कुछ नही , खेल तो लिए गरमी थी इसलिए हमलोग क्लब मे आ गये, तुम ज्यादा थक गये थे आज।
कमल सभी दोस्तों मे प्यारा था, सबलोग उसे बहुत चाहते थे वो सबके सुख दुःख मे साथ रहता था हर तरह से मदद करता था और सबसे बडी बात वो अत्यंत मृदुभाषी था जिससे वो हरदिल अजीज़ था।
कुछ देर सब यूँ ही देश दुनिया पे बातें करते रहे फिर अपने अपने घरों की ओर जाने लगे।
पुष्कर बोला... कमल चलो मै तुम्हें छोडता हुआ अपने घर निकल जाउंगा...
हाँ हाँ चलो कमल उठ खडा हुआ पर उसे कुछ कमजोरी सी लगी, उसने इग्नोर किया और पुष्कर के साथ चल दिया।
कुछ दूर चलने के बाद पुष्कर ने कहा... कमल... क्या आज से पहले तुम्हे कभी ऐसा हुआ है?
क्या ?? कमल ने पूछा
कमल.... आज तुम खेल के दौरान गिरकर बेहोश हो गये थे ... शायद तुम्हे पता नही
नही, पुष्कर मुझे तो कुछ पता नही
तब पुष्कर ने उसे सारी बातें बताई, और कहा देखो कमल सबलोग यही समझ रहे है कि ये साधारण बातें है, पर मै नही मानता, भगवान् करे ये झूठ ही हो, पर मेरी मानो तो किसी अच्छे डाक्टर से मिल लो, वो भी आज ही, इन सब बातों को इग्नोर नही करना चाहिए।
अच्छा ठीक है कमल ने अश्वासन दिया, तबतक कमल का घर आ गया दोनो मित्र गले मिले, पुष्कर आगे बढ गया और चिंता से बोझिल कमल अपने घर मे दाखिल हुआ, सामने ही माधवी का खिलता हुआ चेहरा देखकर सबकुछ भूल गया , माधवी ने हाथ पकडा और बोली चलो कुछ देर बैठो फिर नहाना, आज लेट हो गये, दोस्तों नै पकड रखा होगा तुमसे चुटकुले, और गाने सुनने के बहाने,
और तुम भी न दोस्तों मे जाकर मुझे तो भूल ही जाते हो, कमल को चेयर पे बिठाकर रोज कुछ देर उसके लंबे, खुबसूरत बालो मे उंगली फिराना माधवी को बहुत पसन्द है , कमल चुपचाप माधवी की बातें सुनता रहा... माधवी और पता नही क्या चहक चहक कर बोल रही थी ।
पर अचानक माधवी को लगा कि कुछ बदले बदले से माहौल लग रहें है, प्रति दिन कमल जोश मे भरा हुआ आकर माधवी को बाहों मे उठाकर घर मे चार चक्कर लगाता था....
अब छोडो न... कितनी बार माधवी के कहने पर ही तब छोडता जब तक उसके गालों को लाल न कर देता चूमकर, आज तो कुछ भी नही ।
क्या बात है कुछ हुआ है क्या ?? तुम्हारे सभी दोस्त ठीक है न ?? माधवी को पता है कमल अपने दोस्तों से कितना प्यार करता है उनके जरा सा दुखी होने से परेशान होहो जाता है।
हाँ सभी ठीक है.. कमल ने कहा
" आपकी तबियत ठीक है "
" हाँ "
" सच बताओ ना "
" अरे मै झूठ क्यूँ बोलूँगा "
" तो आज तुमने आकर मुझे गोद मे उठाया नही "
" ओह चलो अब उठा लेता हूँ "
" नही कुछ तो बात है ??
नही कोई बात नही है माधवी, सच कहता हूँ
अच्छा जाओ फ्रेश होकर आओ मै कुछ लाती हूँ खाने पीने के लिए
हूँ
कमल उठकर वाशरूम मे चला गया और माधवी उलझ गयी अपने सोच मे
( प्रेम और पीडा का दुसरा भाग अवश्य पढे)