पराकाष्ठा प्रेम की
मोहब्बत ना दायरों में किया जाता है
ना मोहब्बत कभी किसी मायनों में तय होता है
मोहब्बत तो एक ऐसा पौधा है
जो पत्थरों में उगने की शक्ति खुद में समाहित रखता है
प्रेम जितना पवित्र ना कोई रिश्ता हुआ कभी और ना होगा कभी ।।
फिर चाहे वो प्रेम माता का अपने औलाद से हो...
ना मोहब्बत कभी किसी मायनों में तय होता है
मोहब्बत तो एक ऐसा पौधा है
जो पत्थरों में उगने की शक्ति खुद में समाहित रखता है
प्रेम जितना पवित्र ना कोई रिश्ता हुआ कभी और ना होगा कभी ।।
फिर चाहे वो प्रेम माता का अपने औलाद से हो...