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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त के पीछे का दृश्य कैसा होगा और कैसा होना चाहिए था।।भाग१
इस गाथा के भाग में हम इस कहानी के पीछे का दृश्य देखेंगे जो कि एक आम कन्या की जिसका वास्तविक नाम वर्षा ऋतु मना गया जो कि उसकी
वनज थाम लेता है,उसका नाम परदे के शामने कुछ बतागया था मगर इस कहानी के प्ररदे उसका नाम वर्षा ऋतु से इसलिए लिया गया है क्योंकि उसकी ऋतु को वर्षा चाहिए होती, ठीक उसी तरह पुरूष और महिला दोनों एक दूसरे के बिना स्पष और आत्मसमर्पण के बिना यह गाथा अनन्त ही रहेगी और काभी सपरपण के मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाएगी।।रूह भ्रमण जब तक कर्म मोकत नहीं हो पाती हैं और पुरुष एवं स्त्री दौवा सिथित दुर्लभ आह भवनति।। इसलिए यह गाथा अनन्त है और तो और जब स्त्री अपनी योनि का त्याग कर दिया और पुरुष मरियादा नाग जाए ऐसे योग काभी कल्याण निश्चित नहीं हो सकता है।।
श्रष्टि नशवरम् भवताह मनु सूनयविकलपीय धन बहुविकल्पी भोग सपनता भवताह।।
#कलयाणम्।।