"लालटेन"
एक बार गुप्ता जी को अपने ही गांव के मुखिया जी के यहां दावत पर जाना था। बेचारे गुप्ता जी इसके लिए बड़े उत्साहित थे और खुश भी ।
उस वक़्त जमाना पुराना था , बिजली , बल्ब , स्ट्रीट लाइट वगैरह तब हर इलाक़े , गांव या कस्बे में नहीं हुआ करती थी।
उन्होंने सोचा कि आज तो बहुत देर रात तक शेरोशायरी , मौसिकी और शराब...
उस वक़्त जमाना पुराना था , बिजली , बल्ब , स्ट्रीट लाइट वगैरह तब हर इलाक़े , गांव या कस्बे में नहीं हुआ करती थी।
उन्होंने सोचा कि आज तो बहुत देर रात तक शेरोशायरी , मौसिकी और शराब...