स्त्री-पुरुष
पुरुष की उत्सुकता किसी भी स्त्री में तभी तक होती है, जब तक वह उसे जीत नहीं लेता। जीतने के बाद ही उसकी उत्सुकता समाप्त हो जाती है। स्त्री को जीतते ही फिर कोई रस नहीं रह जाता।
नीत्शे ने कहा है कि पुरुष का गहरे से गहरा रस एक मात्र विजय है। कामवासना भी उतनी गहरी विजय नहीं है। कामवासना सिर्फ विजय का एक क्षेत्र है।
बस इसलिए पत्नी में उत्सुकता समाप्त हो जाती है, क्योंकि वह जीती ही जा चुकी होती है। उसमें कोई अब जीतने को बाकी कुछ भी नहीं रहा है।
इसलिए जो बुद्धिमान पत्नियां हैं, वे...
नीत्शे ने कहा है कि पुरुष का गहरे से गहरा रस एक मात्र विजय है। कामवासना भी उतनी गहरी विजय नहीं है। कामवासना सिर्फ विजय का एक क्षेत्र है।
बस इसलिए पत्नी में उत्सुकता समाप्त हो जाती है, क्योंकि वह जीती ही जा चुकी होती है। उसमें कोई अब जीतने को बाकी कुछ भी नहीं रहा है।
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