एक अधूरी सी कहानी।(प्रेम कथा)
ये उन दिनों की बात है जब मैं सिर्फ 14 साल की थी हम सब हर गरमी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाते थे ।मुझे वहां जाना बहुत पसंद था ।एक बार की बात है में अपनी पड़ोस की सहलियों से बाते कर रही थी सामने वाले घर में एक लड़का मुझे देख रहा था एक टुक लगाए इस बारे में मुझे नहीं पता था एक बार नजर भी गई लेकिन मैंने इतना ध्यान नहीं दिया ।
अगले दिन फिर मैं अपनी सहेलियों से बात कर रही थी तब उन्होंने मुझे बताया की जो सामने बैठे है वो हमारे भाई है और बोल रहे की उनका आप पर दिल आ गया है क्या आप उनसे बात करोगी ।तब मैंने कुछ बोला नहीं और इन बातों को हसीं में टाल दिया।
मुझे इन सब चीजों के बारे में इतना नहीं पता था मुझे तो प्यार का मतलब भी मालूम नहीं था।
उसकी आंखो मैं सूरमा लगा हुआ होता था जो आंखो को और भी सुंदर बनता था ,सुनहरे बाल, कद काठी भी अच्छी थी।
वह मुझे रोज देखते थे छुप- छुप कर कभी छत पर अपने एक दोस्त के साथ बैठ कर ,कभी अपनी छत से...
अगले दिन फिर मैं अपनी सहेलियों से बात कर रही थी तब उन्होंने मुझे बताया की जो सामने बैठे है वो हमारे भाई है और बोल रहे की उनका आप पर दिल आ गया है क्या आप उनसे बात करोगी ।तब मैंने कुछ बोला नहीं और इन बातों को हसीं में टाल दिया।
मुझे इन सब चीजों के बारे में इतना नहीं पता था मुझे तो प्यार का मतलब भी मालूम नहीं था।
उसकी आंखो मैं सूरमा लगा हुआ होता था जो आंखो को और भी सुंदर बनता था ,सुनहरे बाल, कद काठी भी अच्छी थी।
वह मुझे रोज देखते थे छुप- छुप कर कभी छत पर अपने एक दोस्त के साथ बैठ कर ,कभी अपनी छत से...