नफरतों का खामियाजा
"रौनक लगा करती थी जिसके बाज़ारों में, वो शहर सुनसान हो गया एक धमाके में "
नीला आसमां बारूदों की धुंध से भरा हुआ था |
खौफज़दा चेहरे से अपने चीथड़े उड़ते घर को देख रहा था | अपने नौजवान बेटे पे घर की जिम्मेदारी सौंप किसी काम से दूसरे शहर गया था |
आते ही साइरन की आवाज सुनाई दी| घर पहुँचता उसके पहले ही धमाके...
नीला आसमां बारूदों की धुंध से भरा हुआ था |
खौफज़दा चेहरे से अपने चीथड़े उड़ते घर को देख रहा था | अपने नौजवान बेटे पे घर की जिम्मेदारी सौंप किसी काम से दूसरे शहर गया था |
आते ही साइरन की आवाज सुनाई दी| घर पहुँचता उसके पहले ही धमाके...