मेहनत
जमाना कितना बदल गया है अब भला कौन साधु संतों और बाबा के चक्करों में पड़ता है। लेकिन कभी मज़बूरी कुछ ऐसा करा ही देती है।
दो दोस्त जैसे तैसे जीवन काट रहे थे कभी छोटा मोटा काम करते कभी माँग कर ही पेट भर लेते, एक दिन अचानक जा रहे और रास्ते में देखा बहुत भीड़ लगी है, कुछ आदमी औरतें खड़े किसी से कुछ पूछ रहे थे, तो उन्होंने भी जाकर देखा कौन है और पूछा लोगों से "कौन है भैया क्यों इतनी भीड़ लगी है तो पता लगा कि कोई बाबा भविष्य बता रहे हैं" उन्होंने भी सोचा हम भी अपनी किस्मत आजमा लें और पूछने लगे बाबा से कि हम बहुत गरीब है हमे पैसा कैसे मिलेगा
बाबा ने कहा "जाओ बच्चा तुम्हारे दिन तो बदलने ही वाले हैं तुम तो लखपति बनने वाले हो, दूर एक गाँव है वहाँ बहुत बड़ा चबूतरा है वही पास में बहुत सारा सोना दबा हुआ है जो तुम्हारे पुरखों ने दबाया था पर जाना पैदल ही है" ये सुनकर वो दोनों दोस्त सोने के लालच में चल दिये, चलते चलते थक गए पर ऐसी कोई जगह नहीं मिली, और भूख भी लग गई पर खाना आये कहाँ से। फिर चलते गए तो किसी का समान चढ़ना था ट्रक में, उन्होंने कहा तुम ये समान चढ़ा दो भाड़ा दे दूंगा खैर दोनों जुट गए और खाना भी मिल गया और पैसा भी, फिर आगे बढे रात होने को आ गई अब सर पर छत नहीं जो कमाया था उससे रुकने का इंतजाम भी हो गया, सुबह फिर चलना शुरू कर दिया गाँव फिर भी नहीं मिला आखिर चलते चलते तीन दिन बीत गए पर ऐसे ही छोटी मोटी मजदूरी करके रास्ते में खाने का इंतजाम करते गए, फिर गांव पहुंचे वहाँ एक खास तरह का चबूतरा दिखाई दिया, उन्होंने ख़ुदाई शुरू करी करते करते बहुत गहरा गड्ढा खोद डाला फिर भी कुछ नहीं हाथ लगा वह समझ गए कि साधु ने झूठ बोल दिया पर इतना जरूर उनकी समझ में आ गया कि हम सोने के लिए इतना पैदल चलकर आये इतना तो हम अगर मन लगाकर काम कर लेते कुछ मेहनत मजदूरी कर लेते तो न हमारा इतना समय व्यर्थ होता और न ही गलत बातों पर विश्वास करते।
तब से उन्होंने मांगकर खाना भी बन्द कर दिया और दोनों को एक दुकान पर काम मिल गया अच्छा कमाने लगे और दोनों अच्छा जीवन व्यतीत करने लगे।
© hemasinha
दो दोस्त जैसे तैसे जीवन काट रहे थे कभी छोटा मोटा काम करते कभी माँग कर ही पेट भर लेते, एक दिन अचानक जा रहे और रास्ते में देखा बहुत भीड़ लगी है, कुछ आदमी औरतें खड़े किसी से कुछ पूछ रहे थे, तो उन्होंने भी जाकर देखा कौन है और पूछा लोगों से "कौन है भैया क्यों इतनी भीड़ लगी है तो पता लगा कि कोई बाबा भविष्य बता रहे हैं" उन्होंने भी सोचा हम भी अपनी किस्मत आजमा लें और पूछने लगे बाबा से कि हम बहुत गरीब है हमे पैसा कैसे मिलेगा
बाबा ने कहा "जाओ बच्चा तुम्हारे दिन तो बदलने ही वाले हैं तुम तो लखपति बनने वाले हो, दूर एक गाँव है वहाँ बहुत बड़ा चबूतरा है वही पास में बहुत सारा सोना दबा हुआ है जो तुम्हारे पुरखों ने दबाया था पर जाना पैदल ही है" ये सुनकर वो दोनों दोस्त सोने के लालच में चल दिये, चलते चलते थक गए पर ऐसी कोई जगह नहीं मिली, और भूख भी लग गई पर खाना आये कहाँ से। फिर चलते गए तो किसी का समान चढ़ना था ट्रक में, उन्होंने कहा तुम ये समान चढ़ा दो भाड़ा दे दूंगा खैर दोनों जुट गए और खाना भी मिल गया और पैसा भी, फिर आगे बढे रात होने को आ गई अब सर पर छत नहीं जो कमाया था उससे रुकने का इंतजाम भी हो गया, सुबह फिर चलना शुरू कर दिया गाँव फिर भी नहीं मिला आखिर चलते चलते तीन दिन बीत गए पर ऐसे ही छोटी मोटी मजदूरी करके रास्ते में खाने का इंतजाम करते गए, फिर गांव पहुंचे वहाँ एक खास तरह का चबूतरा दिखाई दिया, उन्होंने ख़ुदाई शुरू करी करते करते बहुत गहरा गड्ढा खोद डाला फिर भी कुछ नहीं हाथ लगा वह समझ गए कि साधु ने झूठ बोल दिया पर इतना जरूर उनकी समझ में आ गया कि हम सोने के लिए इतना पैदल चलकर आये इतना तो हम अगर मन लगाकर काम कर लेते कुछ मेहनत मजदूरी कर लेते तो न हमारा इतना समय व्यर्थ होता और न ही गलत बातों पर विश्वास करते।
तब से उन्होंने मांगकर खाना भी बन्द कर दिया और दोनों को एक दुकान पर काम मिल गया अच्छा कमाने लगे और दोनों अच्छा जीवन व्यतीत करने लगे।
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