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एक रिश्ता ऐसा भी....
पहले तो दिल से दिल से दिल से दिल - ओ - जान से उनका शुक्रिया....

एक दिन मेरी ज़िंदगी में ऐसा वक़्त आया, ऐसा लग रहा था जैसे कोई होना चाहिए जिससे मैं मेरे दिल की बात कर सकू, उसे दिल का हाल बता सकूँ।

फिर मुझे किसी के बारे में ध्यान में आया, उस वक़्त लगा जैसे ये फरिश्ता है मेरे लिए खुदा ने इन्हें मेरे लिए फरिश्ता बनाया है। मुझे लगा के मैं इनके साथ मेरी सारी दिल की बात कर सकती हू। फिर मैंने उनसे कहा आपसे मुझे बात करनी है उन्होंने बड़े प्यार से कहा जो भी बात है आप मेरे साथ खुल के कर सकते हो मैं आपकी माँ हू।

वो बिल्कुल मेरी माँ ही है, जैसे पहली माँ वो जो जन्म देती है, और ये मेरी ऐसी माँ जिसने सही रास्ता दिया, मेरी मुश्किल हल की और मुझे बहुत प्यार से सही राह पर चलना सिखाया। उनसे मैंने मेरे दिल की सारी बात कहदी और वो बड़े प्यार से सुन रही थी और मुझे सही रास्ता दिखाया और बहुत सारा बहुत सारा बेहद प्यार किया और बहुत सारी बहुत सारी दुआएं भी दी।

और फिर मुझे ऐसालग रहा था के जैसे मेरे दिल का भोज हलका हो गया। मैं बहुत खुशनसीब हू जो मुझे भगवान् ने दो माँ दी है, एक जिसने मुझे इस दुनिया मे लाया, और दूसरी जो मेरे दिल का सारा भोज हलका करने के लिए, मुझे बेहद प्यार, बेहद दुआएं, और बहुत ज़्यादा खुश करने के लिए।

वाकई मैं सबसे खुशनसीब हू। शायद ये अल्फ़ाज़ भी कम पड़ जाए उनको शुक्रिया कहने के लिए। क्युकी मेरे दिल में ऐसी कुछ बातें थी जो ना तो मै कह सकती थी और न ही सह सकती थी। उन्होंने मुझे सुकून दिया, दिल - ओ - जान से मैं उनकी शुक्र गुज़ार हू।
एक होता है ऐसा रिश्ता,
जो टूटे दिल को सांवरे,
उसे कहते हैं फरिश्ता........
© Glory of Epistle