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एक प्यार ऐसा भी
नवंबर आते ही अहमद खान की धड़कने बेतहाशा बढ़ जाती | किस तरह उनका सामना करूँगा, इतने सालों से जो खुद को सहेज कर रखा हैँ कही उम्र के इस पड़ाव पे बिखर ना जाऊ, इतने सालों से छुपा राज़ कही सबके सामने ना आ जाये |
अहमद साहेब की उम्र करीब 60 की हो चुकी थी |
उनके दो बेटे और एक बेटी थी | बीवी सायरा भी खुशअलखाक तबियत की थी |
अच्छा खुशहाल परिवार था | लेकिन अहमद साहेब अपनी पहली मुहब्बत को मोहिनी को आज तक अपने दिल से नहीं निकाल पाये थे |
गांव में सभी धर्म और जाती के लोग मिल -जुल कर रहते थे | होली, दिवाली हो या ईद सब धूमधाम से मनाया जाता था |
बात 40 साल पहले की हैँ अहमद साहेब की उम्र 20 साल की थी वह कॉलेज में B. Sc honours के स्टूडेंट थे |
मोहिनी वर्मा 12 वी कक्षा में थी |
उस ज़माने में कम ही लड़कियां 10 th के बाद भी पढ़ाई जारी रखती थी |
मोहिनी के पिताजी कॉलेज में प्रोफेसर थे, उनके दो ही बच्चे थे अमर और मोहिनी | अमर अहमद का क्लासमेट था लेकिन उनके विषय अलग थे |
चुकि दोनों एक ही गांव से थे दोनों अच्छे दोस्त भी थे और एक - दूसरे के यहाँ आना जाना लगा रहता था |
मोहिनी को रसायनशास्त्र के कुछ टॉपिक समझ नहीं आ रहे थे, वह अपने भाई अमर से पूछने के लिए उसके कमरे में गयी " क्या भैया आपने कैसा कठिन विषय दिलवा दिया हैँ मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा.. " मोहिनी बोलते बोलते रुक गयी! कमरे में अमर के साथ अहमद भी बैठे थे |
वह झेप कर वापस जाने लगी तो अमर ने आवाज दी, "मोहिनी अहमद भाई की केमिस्ट्री पे अच्छी पकड़ हैँ, वह अपना honours भी इसी सब्जेक्ट से कर रहे हैँ...