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संघर्ष और जीवन..
ये कहानी है उस लड़के की जिसने यह साबित कर दिया कि कामयाब होने के लिए हमारे मार्क्स नही हमारी योग्यता काम आती है। कोई डिग्री या मार्कशीट हमारा भविष्य तय नही कर सकती बल्कि हमारे द्वारा प्राप्त किया हुआ ज्ञान और हमारा जज्बा हमारा भविष्य तय करता है।

एक लड़का जो बचपन से बहुत होशियार था लेकिन उसकी काबलियत को उसके कम मार्क्स आने के कारण नकारा जाता था। वो लड़का जिसने बचपन से ही ज़िन्दगी में खूब संघर्ष किया हो।

जब वह 5 साल का था तो बचपन में ही उसने अपना एक छोटा भाई खो दिया था पर उसने अपने आप को टूटने ना दिया। सब कुछ सही चल रहा था कि जब वह 7 साल की उम्र में आया तो उसने अपनी माँ को खो दिया पर उसने तब भी खुद को टूटने ना दिया। धीरे धीरे ऐसे ही ज़िन्दगी चल रही थी वह पढ़ाई खूब करता था लेकिन उन्ही कम मार्क्स आने के कारण उसके पिता उससे बहुत नाराज रहते थे। उस लड़के का मानना था कि ये मायने नही रखता की हम कितने मार्क्स लाये हैं बल्कि ये मायने रखता है कि हमने कितना ज्ञान प्राप्त किया है। वह अपने पिता से कहता था कि एक काबिल डॉक्टर कब बनता है तब जब वह अच्छे मार्क्स ले आये या तब जब उसको अपनी फील्ड का सम्पूर्ण ज्ञान हो जाये एक डॉक्टर जब वह ऑपरेशन करता है तो तब उसके काम सबसे ज्यादा क्या चीज़ काम आती है, उसके काम आती है उसके द्वारा इकट्ठा प्राप्त किया हुआ ज्ञान। वह कहता था कि में यह नही कहता कि पढ़ाई या मार्क्स ज़रूरी नही है, ज़रूरी है पर इतने जितना गाड़ी में पेट्रोल।

उसके पिता कभी उसकी बात पर ध्यान नही देते थे बल्कि उसको ये कहते थे की देख दुनिया के बच्चे अखबार में आ रहे है कितने अच्छे मार्क्स ला रहे है और एक तू है नालायक जो न तो अच्छे मार्क्स ही लाता और न ही कही तेरा फ़ोटो आता पर वो कुछ नही बोलता था अपने गुस्से को वो अपना रास्ता बनाता था क्योंकि उसको उम्मीद थी कि जो उसने सोचा है जिसके लिए वो कार्य कर रहा है एक दिन वह ज़रूर पूरा होगा और उसका फ़ोटो अखबार में नही सीधा टीवी न्यूज में आएगा और सबसे पहले जो खुश व तालिया बजायेगा तो वो उसके पिताजी होंगे। उसने पहले 2018 में बीफार्मा किया, ताकि मेडिकल से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सके फिर उसने 2020 में एमबीए किया ताकि उसको मैनेजमेंट की जानकारी मिल सके। जब वह एमबीए कर रहा था तो उसने उसके साथ साथ अपनी एक प्राइवेट लिमिटेड फार्मास्यूटिकल कंपनी खोली। जिसकी खबर टीवी पर आई और जैसा उसने सोचा था ठीक वैसा ही हुआ उसके पिताजी को यकीन नही हुआ कि यह काम उसके उसी लड़के ने किया जिसको वह बहुत बुरा भला कहते थे हमेशा उसकी तुलना दूसरो के बच्चों से करते थे। वह बहुत शर्मिंदा थे कि वो एक पिता होकर अपने बच्चे को समझ नही पाए।

वह बहुत खुश थे आँखों मे हल्के आंशू भी थे पर दिल उनका बहुत खुश था। जब तक उसने अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी की तब तक उसकी कंपनी उसके आधे प्रदेश में फेल चुकी थी। और आज वह लड़का सफल बिज़नेसमेंन है। दोस्तो यह कहानी पिता और बच्चो दोनों को प्रभावित करती है क्योंकि कभी कभी माँ बाप अपने बच्चों को कम मार्क्स लाने के कारण बुरा भला कहते हैं जिस कारण वह सुसाइड तक कर लेते है। अपने बच्चों की कभी भी दूसरे बच्चों से तुलना नही करनी चाहिए और न ही उनके कम मार्क्स आने पर उनसे भविष्य को तय करना चाहिए क्योंकि जिस वक़्त आप उनको बुरा भला कहते हो उसी वक्त आपके बच्चों को आपकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है उनसे बात करनी चाहिए उनका सपना पूछना चाहिए और हमेशा अपने बच्चो को मोटीवेट करना चाहिए और यह उन बच्चो के लिए भी है जो अपने दुखों का बहाना बनाकर अपने लक्ष्य से भटक जाते है। सुख और दुख ज़िन्दगी के दो पहलू है जो जिंदगी के हर मोड़ पर मिलेंगे और कुछ बच्चे अपनी जिंदगी की तुलना बस उन छोटे से मार्क्स से कर लेते हैं और सुसाइड कर लेते है। हमेशा ध्यान रखना चाहिए ज़िन्दगी अनमोल है यह एक बार मिलती हैं चाहता वह लड़का भी अपने दुखो का बहाना बना सकता था पर उसने ऐसा नही किया क्योंकि उसको खुद को साबित करना था उसको पता था कि ज़िन्दगी अनमोल है तय आपको करना है खुद को इस दुनिया मे साबित करना है या बदनाम।

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© Ashish Morya