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मौत से एकतरफा संवाद
मृत्यु, तू अब बहुत साधारण हो गई है। तेरी वह अहमियत अब कहीं खो गई है। एक समय था जब लोग तुझसे खौफ खाते थे, तुझे स्वीकारने से कतराते थे। मगर अब, हालात ऐसे हैं कि लोग बड़ी संख्या में तुझसे मिलने को तत्पर रहते हैं। अब शायद ही किसी को तुझसे डर लगता है। पता है तेरी अहमियत कम क्यों हो गई? इसके कई कारण हैं—तू बिना किसी कारण अचानक चली आती है, बिन बुलाए आ जाती है, और हम इंसान बिन बुलाए मेहमान की भी खूब आवभगत करने के आदी हैं। खासकर गरीबों में, या यूं कहें आम लोगों में, तो तुझे कोई इज्जत ही नहीं मिलती। तू उनकी आम दिनचर्या का हिस्सा बन चुकी है। जैसे कोई फैक्ट्री में आग लग जाए और कई मजदूर जलकर मर जाएं, फिर भी फैक्ट्री बंद नहीं होती। या तो उन्हीं मजदूरों के जवान बच्चे काम पर आ जाते हैं या फिर एक नया मजदूरों का समूह जुटा लिया जाता है। काम कभी नहीं रुकता। हाँ, तेरे कारण कुछ देर के लिए काम में बाधा आ सकती...