जब आबे संतोष धन
एक राजा था जिसे अपने राज्य धन से अत्यधिक लगाव था। वह हर समय अपने राज्य और धन के लिए चिंतित रहता था। उसे ऐसा लगता था कहीं उसके शुभचिंतक ही उससे छल करके उसका राज्य और संपत्ति अपने कब्जे में ना कर लें। इस बात को लेकर वह काफी परेशान रहता था। वह कहीं आता जाता नहीं था।अपने महल और राज काज की देखभाल में ही अपना सारा वक्त गुजारता था।
सालों बीत गए राजा अपने नगर से बाहर निकला ही नहीं था। हर वक्त महल की चार दीवारी में बंद रहने और चिंता करने के कारण वो अस्वस्थ हो गया। एक दिन राजा के दरबार में एक साधु बाबा आए। राजा ने साधु बाबा का यथाचित सत्कार कर उन से बैठने का आग्रह किया और उनके यहां आने का कारण पूछा।साधु बाबा राजा के कुशल व्यवहार राज्य की उन्नति और खुशहाली...
सालों बीत गए राजा अपने नगर से बाहर निकला ही नहीं था। हर वक्त महल की चार दीवारी में बंद रहने और चिंता करने के कारण वो अस्वस्थ हो गया। एक दिन राजा के दरबार में एक साधु बाबा आए। राजा ने साधु बाबा का यथाचित सत्कार कर उन से बैठने का आग्रह किया और उनके यहां आने का कारण पूछा।साधु बाबा राजा के कुशल व्यवहार राज्य की उन्नति और खुशहाली...