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साप्ताहिक मेला: भेलनताइन (वेलेंटाइन)
कथित तौर पर
थोड़ा पीछे जाए तो उस जमाने के फरवरी महीना आता था
बस ये प्यार के नाम पर साप्ताहिक मेला मनाने का चलन नहीं था...
था तो बस इतना की अगर पिताश्री कही थैला लेकर सब्जी मंडी में जाए तो आते वापस आते वक्त दस रूपिये का गजरा कभी कभी लेते आते और ऐसा भी नहीं की जाकर माताश्री के हाथ में रख दे ...
वो तो उसी थैले में से माताश्री को ही निकाल के लगाना पड़ता था ...🌝🌝
उस समय गुलाब की जगह गजरा ले लेता था..🌝🌝
प्यार के इजहार जैसा या फिर प्रोमिस डे जैसा कुछ था नही..🌝
सीधे सात फेरे और जिंदगी भर उन्हीं वचनों के इर्दगिर्द घूमती जिंदगी
तो अनुमन बेलैंटिन का साप्ताहिक मेला ना मनाने के बावजूद प्यार का इजहार भी होता था और वचन भी लिए जाते थे
और निभाया भी जाता था...👪

चॉकलेट 🍫की जगह माताजी ने इमली और अचार ही खाया था..🫒🥣
और फिर हम जैसी औलाद उनकी गोद में टेडी बियर की रूप में आ धमकी

जो आज के जमाने में जहा तुम सिर्फ कुंभ के मेले से परिचित हो वही किसी ओर दुनिया में प्यार का साप्ताहिक मेला भी लगने वाला है...👩‍❤️‍👨👩‍❤️‍👨👩‍❤️‍👨
जहा कुछ प्रेम युगल अपनी जी जान लगा देगे इस सप्ताह को अंत तक ले जाने के लिए...😤😤
कुछ अंग्रेजी के massages Google पर सर्च करेगे कुछ शायरी लिखेगे ...🤭

तुम ही हो जो भी हो मेरी जाना
तुमसे ही मेरा खाना पीना रोना धोना
अब मेरी जिंदगी में आ जाना
आ के सीधा सीने में घुस जाना..!!!👶👶

खैर
एक साल तक कटिंग चाय पी कर बचाए पैसे शाहिद कर के बाबू के मुंह से 😱😱awwwwwwww thank you😘😘😘 बाबू सुनने के लिए अब जो जद्दोजहद होगी उसका साक्षी ये समस्त संसार बनेगा😼😼

पर हमें क्या..😏😏😏

जिस प्रकार यू ट्यूब का add हम skip कर देते है😑
ठीक उसी प्रकार आने वाले समय में कुछ दिन हमे ऐसे ही skip करने है😁😁
जी हा मैं बात कर रही हू..

बेलंटाईन वीक की..!!!

वो सप्ताह जिसका लेना देना हमसे है ही नही,😏😏
वो राखीब दिवस सिर्फ😑 या तो नए नए गुटर गूं में पड़े प्रेमी कबूतरो के लिए है👩‍❤️‍👨
या तो उन कबूतरो को उड़ाने ने के लिए तैनात की गई सेना याने की बजरंग दल के लिए है🕴️🕴️
इस सप्ताह से हम जैसे आम जनता का कोई दूर दूर तक संबंध ही नही है...🧑‍⚖️
यदि किसी से इसका वास्तविक अनुभव है तो ये मात्र एक संयोग कहा जायेगा 🌝

© A.subhash

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