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साप्ताहिक मेला: भेलनताइन (वेलेंटाइन)
कथित तौर पर
थोड़ा पीछे जाए तो उस जमाने के फरवरी महीना आता था
बस ये प्यार के नाम पर साप्ताहिक मेला मनाने का चलन नहीं था...
था तो बस इतना की अगर पिताश्री कही थैला लेकर सब्जी मंडी में जाए तो आते वापस आते वक्त दस रूपिये का गजरा कभी कभी लेते आते और ऐसा भी नहीं की जाकर माताश्री के हाथ में रख दे ...
वो तो उसी थैले में से माताश्री को ही निकाल के लगाना पड़ता था ...🌝🌝
उस समय गुलाब की जगह गजरा ले लेता था..🌝🌝
प्यार के इजहार जैसा या फिर प्रोमिस डे जैसा कुछ था नही..🌝
सीधे सात फेरे और...