...

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मुझसे ज्यादा सहनशील है वो...!!!
जो ""मैं मेरा कोई देख न सका
वो ""मैं मेरा लिख दिया....
जो लिख दिया वह "कोई पढ़ न सका
जो पढ़ लिया वो" मैं हूं ही नही...!!!

जो" मैं हूं "मैं जानती हूँ
जो मेरा' मैं कोई जाने वो बहुत कम..!!!!
और उन कम में भी "मैं कहीं हूं ही नही
और जहा" मैं हूं वहाँ" मैं हूं नही...!!!!

मेरा मुझमें कुछ नही
जो कुछ है वो" मैं नही..!!!!
ये कुछ के साथ जो" मैं हूँ
मैं सोचूं" मैं ये "मैं नही..!!!

मैं ने" मैं से नाता तोड़ लिया
मैं ने" मैं को ही लिख दीया
मैं ने पाया "मैं को अपने ही मैं में..!!!!
मैंने "मैं को मार कर रख
कागज में" दफन कर लिया....!!!!

अब जो" मैं हूं बस हूं "मैं कहि
कहनें को हू पर वो" मैं नही हूँ...!!!!
जब "मैं आऊँगी" मैं बन कर
तब सिर्फ" मैं होंगी और कोई नही...!!!!

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आज जब अपनी डायरी को गौर से देखा तो जाना मुझसे ज्यादा सहनशील तो मेरी डायरी है...

© A.subhash

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