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Zindagi Ek Paheli Last Part
रेहान के फोन ने मेरी दुनिया हीला दी थी , उसने फोन पे बताया कि "जूही बेहोश हो गई है और उसे हॉस्पिटल लेकर जा रहा हूं आप लोग भी आ जाऐ"
मैं पल्लवी और अभिनव तीनों हाॅस्पिटल चले गए,जब हम वहां पहुंचे तो रेहान रो रहा था हम जल्दी से उसके पास गए उसे पूछा कि हमें बताएं क्या हुआ है लेकिन वो कुछ बताने की हालत में नहीं था और ना ही कुछ बताना चाहता था, उसने तो रो रो कर बुरा हाल कर रखा था, तभी डॉक्टर आये और पुछने लगे
"क्या आप जूही के परिवार वाले है"
"जी"
"आप लोगों से बहुत जरूरी बात करनी है आप लोग मेरे साथ आए"
हम लोग बहुत घबराए हुए थे पता नहीं डॉक्टर क्या बोलेंगे,जब हम डॉक्टर के कैबिन में गए, तो उन्होंने हमें जूही की रिपोर्ट्स दिखाते हुए समझाते हुए बताया"देखी पहले भी मैंने आप के बच्चों को ये बात बताई थी लेकिन मुझे लगता है कि उन्होंने ने आप को नहीं बताया"
"डॉक्टर आप किस बारे में बात कर रहे है , हमारे बच्चों ने हमसे क्या छुपाया है"अभिनव ने डाॅक्टर से पुछा
"देखिए डॉक्टर होने के नाते मेरा फर्ज बनता है कि मैं आपको सब सच सच बताऊं आज से 3 महीने पहले यह दोनों यहां आए थे उस दिन भी जूही की तबीयत ठीक नहीं थी तब मैंने उसके कुछ टेस्ट किए थे तो उस टेस्ट की रिपोर्ट में आया था की जूही के दिल में छेद है जो बढ़ता ही जा रहा है उसको किसी भी तरीके से रोका नहीं जा सकता वह शायद उसके बचपन से उसके दिल में अगर अब हम उसकी सर्जरी करते हैं तो उसके जीने के चांसेस बहुत कम हो जाएंगे शायद सर्जरी के दौरान भी उसकी डेथ हो सकती है, इसीलिए हमने आपके बच्चों को बताया था कि जितना हो सके जूही को खुश रखें कि यही एक मात्र इलाज है उसे जिंदा रखने का ,जितना वह खुश रहेगी उतनी ही दिन ज्यादा काट लेकिन जितना दुखी रे इतने ही कम दिन होते रहेंगे शायद आपके बच्चों ने आपसे यही बात छुपाई मुझे नहीं पता क्यों लेकिन एस अ डॉक्टर मेरा फर्ज था कि मैं आपको यह सारी बातें बताऊं"
डॉक्टर की बातें सुनकर हम तीनों सुन्न पड़ गए लेकिन साथ ही साथ हमें अपने बच्चों पर फक्र हो रहा था और दुख भी कि उन्होंने हमसे इतनी बड़ी बात छुपाई, सबसे ज्यादा नाज़ मुझे उस दिन रेहान पर हुआ ये जानते हुए भी कि जूही कुछ दिनों की मेहमान है उसे ने जूही का साथ नहीं छोड़ा, मैं जूही के लिए इस बात के लिए खुश थी कि उसने जिससे प्यार किया है वो भी उसे उतना ही प्यार करता है जितना की वो उसे करती है,
लेकिन शायद उसकी खुशियों को किसी की नज़र लग गई तभी तो उसकी जिंदगी खत्म होने की कंगार पर खड़ी थी, हम सब हिम्मत करके जूही के पास गए और मेरी बच्ची सब जानते हुए भी बस मुस्कुराए जा रही थी, मैं कुछ बोलती इससे पहले वो बोली
"मां आज तुम कुछ नहीं बोलूंगी मैं वो कहना चाहती हूं जो मैंने कभी नहीं कहां, मैं जानती हूं आप मुझसे बहुत प्यार करते हैं लेकिन मैं यह भी जानती हो कि मेरे कारण आपने बहुत कुछ झेला है लेकिन मम मैं कभी आपको दुखी नहीं देखना चाहती इसीलिए मैं चाहती हूं मेरे पास जितना भी टाइम है हम खुशी से सस्पेंड करें और मां बस में जो पूछूंगी आप उसका एक हां या ना में जवाब दीजिएगा कसम से मैं आपसे गुस्सा नहीं हूं नाही झगड़ा करो बस कुछ सवाल है उनका जवाब दे दो मरने में भी ऐसा नहीं रहेगी"
"पूछो"
"क्या वो लोग जो आज हमारे घर आए थे वो हमारी फ़ैमिली है"
"हां"
"क्या मेरे पापा जिंदा है"
"हां"
"मां आप सोच रहे होंगे ना कि मुझे यह सब कैसे पता चला यह बात मुझे और रिहान  दोनों को पता है एक्चुअली जब बोलो घर आए तो हम लोग घर से चले गए थे लेकिन हम दोनों आपकी बातें सुन रहे थे , मैंने अपना फोन वहां पर फोन ऑन करके छोड़ा और रिहान के फोन से आपकी सारी बातें सुन ली, मां मैं जानती हूं आपने अपने पास्ट में बहुत कुछ आपके साथ गलत हुआ लेकिन मैं आपका प्रेजेंट खराब नहीं करना चाहती बस मैं खुश हूं कि मेरे भी अपने जो मेरे मरने के बाद मेरी फिक्र हो बस यही जानना चाहती थी, मां मैं कभी भी इस बात की जिद नहीं करूंगी कि मुझे उनसे मिलना है बस एक बार उने देख लिया वही काफी है"
मुझ में अब जूही के पास बैठने की हिम्मत नहीं थी, मैं उसके रूम से बाहर आ गई, उसकी बातें सुनकर मेरी आंखों के आंसु रूक नहीं रहे थे, तभी मैंने फैसला किया की अपनी बच्ची को वो सारी खुशियां दूंगी जो उसे आज तक नहीं मिली, मैंने अपनी बच्ची की के निखिल की फ़ैमिली के साथ रहने का फैसला किया और अपनी फैमिली और निखिल के दोस्तों को भी माफ़ कर दिया।
मेरी बच्ची खुशी के लिए उन्होंने ने भी चेन्नई में ही रहने का फैसला किया,अब मेरी बच्ची को उसका परिवार तो मिल गया था लेकिन पापा अभी भी नही मिले।
मैं अभी सोच ही रही थी तभी पापा ने आकर मुझे कहा "बेटा आज मैं बहुत खुश की तुमने हमें माफ़ कर दिया है, और भला हो उस आदमी का जिसने हमें तुम्हारा एड्रेस दिया"
पता नहीं मेरे दिमाग में क्या आया मैंने पापा से वो नंबर लिया और उस पर कॉल किया, जैसे ही सामने से किसी ने फोन उठाया तो मैंने बिना कुछ सोचे समझे बोल दिया"निखिल वेयर आर यू"
सामने से कोई जवाब नहीं आया तो मुझे बिल्कुल यकीन हो गया था की ये नंबर निखिल का ही है क्योंकि मेरे, पल्लवी और अभिनव के अब वही था जो मेरे परिवार को जानता था।
उसके जवाब का इंतजार किए बिना मैंने अपनी बात जारी रखी"तुम इस वक्त जहां भी हो जल्दी से मेरे घर आ जाओ मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है यह हम दोनों से रिलेटेड है सो प्लीज जल्दी आ जाओ"
मेरे दिल में कहीं ना कहीं ये उम्मीद थी कि वो आएगा जरूर शायद उसी उम्मीद पे मैंने उससे वो सारी बातें करती, थोड़ा टाइम वो घर तब तक जूही भी घर आ चुकी थी, उसे देखकर उसने मेरी तरफ़ देखा मैं समझ गई थी की वो निखिल के बारे में जानना चाहती है, उस वक्त सारे परिवार वाले वहीं पर थे , मैंने बिना टाइम वेस्ट किए उसे बताया कि"जूही बेटा ये तुम्हारे पापा है"
निखिल मेरी तरफ देखे जा रहा था, तभी जूही ने उसे कसकर गले से लगा लिया, उस वक्त उन दोनों की आंखों में एक दूसरे के बेइंतहा प्यार नज़र आ रहा था, मैंने जूही को बोला"बेटा अब आप जाकर आराम करो पापा अब हमारे साथ ही रहेंगे",
जूही अपने कमरे में चली गई फिर सब लोग एक एक करके अपने कमरों में चलेंगे, मैं निखिल को अपने कमरे में ले गई, और सब कुछ बता दिया, मैंने उस दिन पहली बार उसे रोते हुए देखा था, उसने मेरी तरफ़ देख और बोला
"मेरी बेटी को मेरे ही किये की सज़ा मिल रही है,ना तुम्हारे साथ धोखा किया और भगवान ने सज़ा हमारी बेटी को दी, मुझे माफ़ कर दो मैरी मैंने तुम्हारे साथ बहुत ग़लत किया, मैं आज तक अपने आप को माफ़ नहीं पाया उसके लिए"
"देखो जो हुआ उसे भुला दो और अपनी बेटी की खुशियां को पूरा करों"
उसने उठकर मुझे गले लगा लिया और मैं उसे रोक ना
पाई, नेक्स्ट डे मेरे और निखिल दोनों के लिए ही एक
सरप्राइस था, जूही ने मेरी और निखिल की शादी की तैयारी कर रखी थी, हमने भी उसकी खुशी के लिए शादी कर ली,
अब हम लोग एक हैप्पी फैमिली थे , थोड़े ही दिनों में जूही और रिहान की सगाई हो गई और फिर शादी,हम सब लोग बहुत खुश थे क्योंकि हमारी बेटी खुश थी।
जूही की शादी को एक साल हो गया था जब तबीयत बिगड़ी, जब तक हम उसे हॉस्पिटल लेकर पहुंचे वो हमें छोड़ कर जा चूकी थी,हम उसे चह कर भी बचा नहीं पाए।
आज उसे हमें छोड़े 3 साल हो गए हैं, रिहान ने अपनी जिंदगी में जूही जगह किसी को ना दी, अपनी पूरी जिंदगी उसकी यादों और अपने बच्चों के नाम कर दी, और मैं फिर अकेली पड़ गई, निखिल भी 2 साल पहले बेटी को दूसरी बार खोने ग़म में हार्ट अटेक के कारण मुझे छोड़कर चला गया, वो टाइम जो हम तीनों ने एक साथ बिताया था वो उसी की योदो के सहारे जिंदगी काट कर रही हूं और रोज़ दुआ करती हूं कि यही बेटी और पती हर जनम में मिलें लेकिन वो मुझे इस बार की तरह धोखा ना दे  , अब तो दिन रात इसी इंतजार में कटते हैं कब मौत अपनी बारात लाएगी और मुझे दुल्हन बनाकर साथ लेकर जाएगी..........................




अकेले रहने से अच्छा है ऐ मेरे परवरदिगार,
मुझे अपने पास बैठाले।
भेजकर मौत की बारात तू मेरी डोली उठवाले।


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