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हेडफोन की लत
विक्रम का एक ऐसा साथी था,,,,जो पूरे चौबीस घंटे उसके गले में लटका रहता था। बेताल की तरह...लेकिन यह बेताल विक्रम से कोई सवाल जवाब नही करता था।

यह बस विक्रम का मनोरंजन करता था। यह अपनी मर्जी से विक्रम के गले में आकर नही लटकता था। बल्कि विक्रम खुद इस बेताल को अपनी गर्दन में लटका लेता था।

विक्रम के उस साथी का नाम था हेडफोन,,,,वह विक्रम के हिसाब से ही चलता था। जैसा विक्रम का मूड़ हेडफोन उसको वैसे ही गाने सुनाता था।

हेडफोन विक्रम का एक ऐसा साथी था जो हर पल उसका साथ तो दे रहा था। लेकिन उसको एक दलदल की और ले जा रहा था।

एक ऐसा दलदल जिसमे आने वाले भविष्य में विक्रम और गहरा फंसता जा रहा था, इतना की हेडफोन को लटकाए रखना उसकी लत बनती जा रही थी।

एक ऐसी लत जो चार दिवारी में नही घर के बाहर भी विक्रम का पीछा नही छोड़ रही थी। वह जहाँ भी जाता,, हेडफोन के साथ ही जाता था।

जो हेडफोन कभी-कभी कानों से हट जाता था। वह अब कानों मे चिपक चुका था। अगर विक्रम उन्हे हटाता भी था तो वह उसके बिना रह ही नही पाता था।

उसकी वजह यह थी की विक्रम का मनोरंजन सिर्फ कान में लगे हेडफोन के गानो तक सीमित रह गया था। उस से ज्यादा ना उसे कुछ पसंद आता था और ना ही वह उस से ज्यादा कुछ करता था।

एक दिन की बात है, अपने पुराने हेडफोन को देखकर विक्रम ने नए हेडफोन खरीदने का विचार बनाया और अपने पुराने साथी हेडफोन को गले में लटका कर तथा फोन की आवाज तेज करके गाने सुनने लगा।

वह फटाफट से तैयार हुआ और अपने घर से बाहर निकल पड़ा अपने नए हेडफोन लेने काफी समय बीत जाने के बाद वह उस जगह आ पहुँचा,, जहां से उसको हेडफोन खरीदने थे।

लेकिन उस दुकान तक जाने के लिए विक्रम को सड़क पार करना था। वह तेज आवाज में ही गाने सुनते हुए सड़क पार करने लगा। जिससे उसको गाड़ियों की भी आवाज नही सुनाई दे रही थी।

विक्रम सड़क पार कर ही रहा था की तभी एक तेज रफ्तार में आती हुई बस...उसको अपने संग उड़ा ले जाती है और विक्रम को अपने कानों से अब गानो की नही बल्कि लोगों के भीड़ की ही आवाज सुनाई देती है।

वहाँ से गुजरते लोग विक्रम की तरफ बस को आता देखकर,,,, विक्रम की जान बचाने के लिए उसको आवाज लगाते रह जाते है। लेकिन सड़क पर हेडफोन लगा कर रखने की आदत के कारण विक्रम अपनी जान गवां बैठता है।

अपने हेडफोन की आदत का वह इतना आदि हो चुका था की वह यह तक भूल गया की उसकी यह आदत जहाँ उसके कानों पर असर डाल रही थी।

वही सड़क पर हेडफोन लगा कर तेज आवाज में गाने सुनने की यह गलती उसकी जान भी ले सकती है। विक्रम को इस बात का अंदाजा तक नही था। की जिसको वह अपना मनोरंजन समझ रहा था वह उसकी लत बन चुकी थी। जो उसको अपने साथ ले डूबी,,

समाप्त