नशे की रात ढल गयी--24
शिल्पी की शादी में इतने सारे रिश्तेदारों का घर में एकसाथ इकट्ठे होना एक सुखद संयोग ही था । इससे पहले दो लड़कियों की शादी में जितने गेस्ट आये थे , उससे कहीं अधिक संख्या इसबार की शादी में थी । इतने गहमागहमी भरे माहौल में भी मगर एक शख्स की कमी हर मौके पर खल रही थी । वह न तो कोई संबंधी था ,ना ही कोई मित्र । लेकिन हमारे और उसके बीच कुछ तो ऐसी केमिस्ट्री थी , जिससे उसकी अनुपस्थिति हमसब 'कहीं कुछ कमी' की तरह महसूस कर रहे थे । सबसे बड़ी बेटी की शादी में एक कारीगर के रूप में उसका परिचय हुआ था, एक परिचित के माध्यम से । उसने बताया था कि उसका पसंदीदा काम मकान की रंगाई-पोताई और दरवाजे-खिड़कियों पर पेंट करना था । घर की डेंटिंग-पेंटिंग अभी चल ही रही थी कि एक दिन आँगन की नाली जाम हो गयी । कुछ समझ में नहीं आ रहा था ..कि तभी उसने एक उपाय सुझाया कि नाली जहाँ मुख्य नाले से जुड़ी है , वहाँ की जाली में ही अवरोध है ,जिसकी सफाई करने से पानी फिर से बहने लगेगा । फिर वह उस काम में भीड़ गया और उसे ठीक करके ही दम लिया । हमारे यहाँ की दो-दो शादियों की व्यवस्था और इंतजाम में उसका योगदान यादगार रहा है । मड़वा-मंडप को सजाने से लेकर बांस के इंतजाम तक की दौड़-धूप , बाजार से किराने के सामान से लेकर ताजा...