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गुरुपूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा (3 जुलाई 2023)

आज गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजा का विधान है, गुरू पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में आती है, गुरु पूर्णिमा के दिन से चार महीने तक साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं, ये चार महीने मौसम की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ होते हैं, न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी, इसलिये अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गयें हैं।

जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवम् फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, ऐसे ही गुरुचरण में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है, आज के दिन वेद-पुराणों के रचयिता व्यासजी का जन्मदिन भी है, वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी, इस कारण उनका एक नाम वेद व्यासजी भी है।

उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है, शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक, यानी गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देते है।

अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को गुरु कहा जाता है,...