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गलत को गलत क्या बता दिया
गलत को गलत क्या बता दिया,
नजरों से सबकी उतर गए है हम।

सत्य का पक्ष क्या ले लिया हमने,
झूठ के समर्थकों से हार गए हम।

कल तक थे जो गहरे रिश्ते नाते,
आज हो गए है बेजान वो सारे।

जिन पे अपना सब कुछ लुटाया,
पीठ दिखा रहे आज मेरे वो सहारे।

साथ थे जो वो भी किनारे हो गए,
सच बोलने से रूठे है सारे हमसे।

साथ देते थे जो मुश्किल में हरदम,
अब मुँह फेर रहे वो आफत में हमसे।

दिखाया है आईना जबसे सबको,
कतराने लग गए आज सारे हमसे।

समझ में किसी के क्यूं आयेंगे हम,
बात हम उन सी करते जो नहीं है।

अब कोई क्यूं रखेगा वास्ता हमसे,
झूठ को झूठा जो कह देते है हम।

अब कोई क्यूं रहेगा साथ हमारे,
बुरे को बुरा जो कह देते है हम।

कोई क्यूं उतारेगा दिल में अपने हमें,
झूठे कसमें वादे करते जो नहीं है।

दिल से जो साफ़ हैं वो पहचानते हैं,
हम ईमानदारी की छोटी सी सूरत हैं।

गिराकर किसी को ऊंचा उठते नहीं,
जो दिल में होता वही जुबां पे रखते है।

मतलब का रिश्ता हमें मंजूर नहीं,
सच्चे दिल से रिश्ता निभाना आता है।

© Silent Eyes