...

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पुरानी मोहब्बत
मुझे इस नए दौर में मोहब्बत पुरानी वाली चाहिए।
चाहती हूँ कि तुम और मैं किसी शाम सितारों के नीचे चाँद के साथ-साथ चलें हाथों में हाथ डाले दूर कहीं बस चलते जाएं। कभी पूर्णिमा की रात में छत पर ख़ामोशी से बैठ..धीमी आवाज़ में गाना सुने..
"लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो..
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो"
(क्योंकि मुझे यह गाना अत्यन्त ही प्रिय है।)
हमारा आशियाना, बेहद ख़ूबसूरत फूलों से भरी किसी बगिया के बीच हो...