...

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बड़ी हो जाओ
आज बैठे-बैठे यूँ ही कुछ पुरानी बातें याद आ गई, याद आया की कैसे तुमने पहली बार मुझे गले लगा लिया था। मेरे हाथ तुम्हारे सीने पर थे शायद इस कोशिश में की थोड़ा फ़ासला रहे हमारे दरमियान और तुम मेरे माथे को चूम मेरी हालत पर झुंझला रहे थे और चाह रहे थे कि तुम कोई जादू की छड़ी घुमा सब ठीक कर सको।
आज जब तुमसे दूर हूँ तो यह सब याद कर बस मुस्कुरा जाती हूँ।
तुम मुझसे हमेशा कहते थे 'बड़ी हो जाओ'।
तुम्हें याद है तुमने बिना किसी संकोच के सबके सामने मुझे अपने पास बुलाया था और मेरे नहीं आने पर हर एक शब्द पर जोर देकर कहा 'मेरे.. पास.. आओ..'।
मैं अवाक थी कि...