मन का ठहराव...
जब भी ज़िंदगी में शून्यता आने लगती है, मुझे ये जैसे अपने दामन में बुला लेते हैं।
एक रूहानी सा सकून है इनके साये में , खामोश समझ है, जो बिना कुछ बात किए सब समझ लेते है।
कोई बात भी नहीं होती और सब बातें भी हो जाती हैं। अलौकिक ऊर्जा का स्रोत हैं ये .... जो बिना माँगे मुझे इनसे मिल जाती हैं।
जीवन में जब भी सब कुछ ठहरा सा लगता है, जीवन का कोई मकसद समझ नहीं आता है.... ये ज़िंदगी का अलग नज़रिया समझा देते हैं।
ज़रूरी नहीं सब कुछ पाने में ही पूर्णता है, शायद कुछ वापिस पाने की इच्छा से रहित हो, सब कुछ बाँट देने में ही जीवन की सार्थकता है।
किसी के लिए इनके क्या मायने हैं , पता नहीं । लेकिन हाँ ! ये पहाड़ मेरे अंतर्मन का ठहराव हैं, जो मीलों दूर से भी मुझे पास बुला लेते हैं...
और जीवन को अनंत आनंद से भर देते हैं ... ज़िंदगी के एक नए संघर्ष के लिए तैयार करते हैं ....।
© संवेदना
#life_in_hills
एक रूहानी सा सकून है इनके साये में , खामोश समझ है, जो बिना कुछ बात किए सब समझ लेते है।
कोई बात भी नहीं होती और सब बातें भी हो जाती हैं। अलौकिक ऊर्जा का स्रोत हैं ये .... जो बिना माँगे मुझे इनसे मिल जाती हैं।
जीवन में जब भी सब कुछ ठहरा सा लगता है, जीवन का कोई मकसद समझ नहीं आता है.... ये ज़िंदगी का अलग नज़रिया समझा देते हैं।
ज़रूरी नहीं सब कुछ पाने में ही पूर्णता है, शायद कुछ वापिस पाने की इच्छा से रहित हो, सब कुछ बाँट देने में ही जीवन की सार्थकता है।
किसी के लिए इनके क्या मायने हैं , पता नहीं । लेकिन हाँ ! ये पहाड़ मेरे अंतर्मन का ठहराव हैं, जो मीलों दूर से भी मुझे पास बुला लेते हैं...
और जीवन को अनंत आनंद से भर देते हैं ... ज़िंदगी के एक नए संघर्ष के लिए तैयार करते हैं ....।
© संवेदना
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