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जीवन के सतरंगी रंग
आज सुबह ही मैंने एक बात अनुभव कि...कि
अक्सर हम अपनी गलतियां दूसरों के सर मढ़ देते हैं।
और पता नहीं क्या-क्या सगुन अपशगुन की बातें लेकर बैठ जाते हैं जिससे हम स्वयं भी परेशान होते हैं और अपने हितेशियों को भी परेशान करते हैं। ऐसा हो गया अब न जाने क्या होगा सोच सोच कर अपनी धड़कने बढ़ा लेते हैं और सांसो को भी तेज तेज चलने के लिए मजबूर कर देते हैं जिससे हमें फायदा तो कुछ होता नहीं है हां नुकसान जरूर हो जाता है।
आज सुबह मैं बहुत खुश थी क्योंकि सुबह सुबह ही घर का सारा काम निपट गया था। बच्चे भी खुशी-खुशी समय से स्कूल चलें गए थे और पतिदेव ऑफिस तो अब मैं निश्चित हो गई थी। और मन ही मन यह सोच कर खुश हो रही थी कि अब मैं आराम से बैठ कर चाय के संग खूब बातें करुंगी। शांति से बैठ कर चाय पीने में मुझे बहुत अच्छा लगता है।यही वो समय रहता है।जो मैं स्वयं के लिए जीती हूं।इस समय मैं अपने बचपन से लेकर आज तक की सारी अच्छी बुरी घटनाओं और गतिविधियों को याद करती हूं। और उस पर चिंतन करती हूं की कहां कहां सुधार किया जा सकता था या है। और उसके अनुरूप काम करती हूं।
अभी रसोई में मेरा एक आखरी काम बचा था। और वो था दूध गर्म करना मैंने दूध का पतीला स्टोप पर रख दिया और गैस ऑन करके फुल फ्लेम पर डाल दिया।
इसके बाद मैं अपने लिए चाय बनाने वाली थी।इसी बीच मेरा ध्यान मोबाइल के नोटिफिकेशन ने अपनी तरफ आकर्षित किया और मैं मोबाइल हाथों में लेकर
मैसेजेस देखने लगी मेरा ध्यान गैस पे रखे दूध की तरफ
से लगभग तीस सेकंड के लिए बिल्कुल ही हट चुका था।इसी बीच दूध में उबाल आया और जब तक मैं गैस बंद करती इससे पहले ही सारा का सारा दूध गिर कर रसोई में फैल गया। और साथ ही बिखर गए थे मेरे सुनहरे सपने चाय के साथ बातें करने का जो अभी कुछ ही क्षण पहले मैंने देखें थे। अभी कुछ पलों के लिए मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं पहले किसे समेटूं अपने सपने को या अपने बिखरे हुए रसोई घर को..!!
तब मेरे मन में भी यही ख्याल आया कि दूध गिर गया है ना जाने अब क्या होगा ..??पर अगले ही पल फिर मुझे ख्याल आया कि यह दूध अपने आप नहीं गिरा है ।बल्कि मेरी गलतियों और लापरवाही की वजह से गिरा है। तो मेरी गलतियों का खामियाजा भी मुझे ही भुगतना चाहिए ना कि किसी और को ..!! वास्तव में जीवन का अगला क़दम किसी को पता नहीं होता है। जिंदगी के सतरंगी रंग में से एक रंग यह भी ।बहुत रंग बिरंगा है यह जीवन कभी एक सा नहीं रहता है। सेकंडों और मिंटो में परिस्थिति बदलती है और बदल जाती है हमारी सोच समझ और दुनिया भी ...!!
किरण