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आत्मविश्वास
दोस्तों, बचपन में हम सभी ने एक कहानी सुनी थी, जिसमें लोमड़ी को बहुत प्रयास करने पर भी जब अंगूर नहीं मिलते तो, वह “ अंगूर खट्टे हैं “ कहकर उन्हें छोड़कर चली जाती है। तब इस कहानी से हमने यह शिक्षा ली थी कि जब काफ़ी प्रयास करने पर भी हम किसी वस्तु को प्राप्त नहीं कर पाते, तो अपनी कमजोरी छिपाने के लिए अक्सर बहाना बनाते हैं और उस वस्तु को ही तुच्छ साबित करने की कोशिश करते है। तरह-तरह के तर्क देते हैं। परन्तु इस बात को मैं एक और नजरिए से देखती हूं कि यदि बार-बार प्रयास करने पर भी कोई वस्तु या उपलब्धि हमें नहीं मिल रही तो मनोबल कम करने के बजाए, अवसाद की स्थिति में जाने के बजाय, आत्महत्या करने के बजाय या कुछ भी ऐसा गलत निर्णय लेने के बजाय हमें यही कहना चाहिए कि “ अंगूर खट्टे हैं”,”कैसे खाती अंगूर तो बहुत ही खट्टे हैं” और छोड़ देना चाहिए और कुछ और प्रयास करना चाहिए, परन्तु आत्मविश्वास को कभी कम नहीं होने देना चाहिए । क्योंकि आत्मबल और आत्मविश्वास सबसे बड़ी पूंजी हैं।