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प्रतिबिंब कृष्ण का....
उसे तपस्वी कहना अनुचित नही होगा, उसे मोटी बुद्धि लोग नही समझ सकते, इस कलियुग मे.. कोई तपस्वी..??
ये तो असम्भव है! यहा इतने प्रलोभन है जितने स्वर्ग मे भी नही, फिर कोई अपने कामनाओ आकांक्षाओं पे कैसे नियंत्रण रख सकता है, पर वो सचमुच सधा हुआ ब्यक्ति है!
उसने तप करके कृष्ण को अपना बनाया और बदले मे उनसे इश्क, प्यार, मुहब्बत, प्रेम का कुबेर होने का वरदान मांग लिया!
कृष्ण भी बहुत दिनों से चिंतित रहा करते थे, क्योंकि उनके धरती पर से वापस आने के बाद से प्रेम गायब हो रहा था सब सिर्फ अपने और अपने सुख के लिए जीने लगे थे ये बहुत बडी चिंता थी पर कोई ऐसा ब्यक्ति नही नजर मे आ रहा था जो वे धरा पर फिर से प्रेम की बंशी बजाकर कण कण मे संजीवनी फूंक दे! जो भी ब्यक्ति उनके दरबार मे हाजिरी लगाता वो अपने और अपने...