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खामोशी 2.0
खा   मो शी 2.0
                                                          《 @the_shourya_》   

     
             
                      .........खामोशी.........


        मेरी कलम आजकल कुछ अजीब  बाते लिखने लगी
        कविता कहानियों से दूर ,शायरियों का नजराना करने लगी
        उसने आखों से कुछ ओर कह कर , होठों से कुछ ओर कहने लगी।




अब पता नहीं  किस मोर तक ले जाएगी  उसकी खामोशी
     कासमा खाली  जो  उसने , गल न  करने की
      मैं मर ही गया  उसकी  ये  बात सुन के। 



    



मैं  उसमें इतना डूब गया हूं निकालना  भी  मुश्किल हो गया है
  निकालना जो मैं  ( हाय )
                                 मछली जैसे तरप तरप कर मर जाना है।

खुदा से एक मैं दुआ करता, उसके लिए हर रोज मरता
पता नहीं उनका जवाब  हर बार  रूखा रूखा  kyu आता
कहीं मर न जाऊ उनकी खामोशी से,हर बार का  उनका मोहब्बत अधूरा ही रहता।





उनको बेवफ़ा कह भी नहीं सकता, मैंने भी कहां वफ़ा निवाई
वो रूठे थे हमसे , हमभी दिल  से  कहा मनाया ।
 
   
                  तुझसे मोहब्बत दिल अब भी करता है
तुझे कहभी न पाई उस वक्त, कुछ मजबूरी ऐसी थी
तू मेरी मोहब्बत को समझा कहां
         तुम अपनी दीवानगी में ही मशगूल था।
Shourya  तेरी मोहब्बत खुदा दे लिखी है
तु इंतजार कर,  उसकी  खामोशी  जरूरत टूटेगी।







© 💕बेवफ़ा💔

Insta :- @the_real.shourya_
#shourya