...

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हमें क्या मारोगे
#FamilyInvestigation
हमें क्या मारोगे यार तुम
मैं ख़ुद हीं मर मिट चुका हूँ ।
तेरी चाहत की आँगन में
मैं ख़ुद को समर्पित कर चुका हूँ ॥
अब ये जिंदगी तेरे काम की हीं है
तुम्हें इसे सुपुर्द ए ख़ाक कर चुका हूँ ॥

नफ़रत से जियों इसे या प्यार से
इसको दुख दर्द से आज़ाद कर चुका हूँ ।
मोहब्बत कोई दाग नहीं है जीवन में
इसे बहुत प्यार से समझा चुका हूँ ॥

एक रोटी कम खाओ
पर किसी को भूखा ना सुलाओ
बहुत तन्हाई से निकाल कर
इसे खुशहाल बना चुका हूँ ।
दर्द में भी मुस्कुराता है वो मुसाफिर
इसको दर्द की आदत लगा चुका हूँ ॥

प्रेम ऐसे हीं नहीं बरसता है किसी के जिंदगी में
प्रेम का एक नया अवतार दिला चुका हूँ ।
हूँ मैं भी दुनिया का आदि और अंत भी
इसको अपने जिंदगी में अपना चुका हूँ ॥

© ✍️ विश्वकर्मा जी