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व्हाट्सएप वाला love 🖤
आज मैं आपको एक कहानी सुना रहा हूं जिसका शीर्षक है: - लव ऑन सोशल मीडिया !
मुझे एक लड़की व्हाट्सएप पर मिली और हमारा बातचीत कमेंट के जरिए चलने लगे थी।
व्हाट्सएप ग्रुप में, मैं उसकी पोस्ट पर कमेंट करता और वह मेरे पोस्ट पर कमेंट करती थी।
एक दिन ग्रुप चैट से पर्सनल चैट पर आ गए, मैसेज में वह मुझसे सवाल करती थी और मैं उसके सवाल के जवाब देने में मशहूर हो जाता था।
“दोस्ती का एक विचार नजर आता है,
मुझे उनकी बातों में प्यार नजर आता था ”

वह दिन को भी आना था जब मिलने का कोई बहाना था उसको अपनी पढ़ाई अच्छी लगती थी मैं अपने काम का दीवाना था।
‘प्यार मैं हमारी सोच भी एक जैसी हो गई थी ,एक ही किताब के हम तो पृष्ठ पर गए थे’
बड़ी मुश्किल से मिला था हमको यह खजाना खुशियों का ,
हम अपने में खो गए थे रूठना और मनाना।
वह दिन भी आया , जो मुलाकात का मौका था
उसने मुझे मिलने बुलाया ,शाम से रात हो गई थी।
वह एक स्थान पर बैठी थी (तभी मुझसे एक गलती हो गई) वह इंतजार करते-करते गमगीन हो गई।
मेरी मंजिल कहीं थी और कहीं और हो गया (आप समझदार है) आने में देर हो गई।
इधर में उसकी तलाश कर रहा था, उधर वे हमें नाराज मिले। फिर भी
हमें देर से मिले साथ अपनी बहन से भी मिलाएं।
उसकी बहन ने भी मुझे खूब समझाया ,मैंने भी उसे खूब समझाया।
उनलोगों का हक होता है नखरे दिखाने का, लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरी बातों से वह दूर जा रहे थे।

मैं उस समय चप्पल में था , चेहरे पर उदासी और मुंह भी था वेधुला हुआ,
बालों में भी नहीं थे तेल।
इस तरह मिलना मुझे भी अच्छा नहीं लगा।
लगता है उनको सुंदरता चाहिए,
जो मेरे पर्सनैलिटी में नहीं था।
उसका घर भी था नहीं मालूम ,अंदाज लगाकर यहां वहां ढूंढा।
फोन लगाया पर उसने फोन नहीं उठाया।

चॉकलेट पिघल कर पानी हो गया था,
घर वापस आ कर सोचा मैंने, चॉकलेट किस के लिए लाया था और किस का हो गया।
( आँख मेरी पानी से लाल थी , यू लगा उनका कोई चाल था।)
मेरा दिल उस दिल अरिजीत सिंह ,बी प्राक के सेड गानों में लीन हो गया।


मैं उसे मैसेज पे मैसेज करता रहा। बहुत रात हो चुकी थी मेरा दिल तनहाई में गुजरता गया ,आंखों की बूंदे बिस्तर पर रात भर आती रही।
एक दिन वह मान गए मेरे दिल में बचे वे सासें फिर से जाग गए थे।
मुझे अब वही प्यार चाहिए था मुझे जुदा होने का डर हमेशा लगता था।
उसी जॉब करने का शौक था, मुझे अपने काम पर रॉब था।
एक दिन उससे पैसे की जरूरत पड़ गई तो वह मुझसे मिल गई।
मैंने भी देर ना की मदद करने में ,
और उसकी जॉब लग गई थी।
शायद,
वह मुझे भी अपने साथ जॉब करने की सोच रही थी , मुझे उनकी बातों से लग रहा था!
मुझे सिर्फ मैसेज पसंद थी और उसे कॉल करना।
मुझे उसकी फिक्र रहती थी ,जब वह जॉब से बाहर रहती थी।
एक दिन हमारी क्लास शुरु हो गई उसकी जरूरत फिर से शुरू हो गई।
मैं रहता था उसकी आस में, वो फिर नही आई मेरी बात में।
मैंने मदद बन्द कर दी, कॉल पर बात करना भी छोड़ दिया।

उसे एक स्मार्ट फ़ोन चहिए था,
इधर मेरी आर्थिक तंगी थी ।
उधर से मैसेज आने भी बन्द हो गए।
मोबाईल के नंबर बदलकर कर दो हो गए। वो वक्त भी आया जब उसकी और मेरी आखिरी बात आ गई‘तू क्या चाहती है’
बात यहां तक पहुंच गई थी।
मैं शादी चाहता हूं इस मोहब्बत का !
“मुझसे आज के बाद बात मत करना”
कभी मेरा इंतजार मत करना।
आखरी से आखरी बात हो गई ,
मेरी तरह वह भी तन्हा हो गए ।
वे दिल जो कभी रूठना मनाना जानते तक नहीं थे, वो दो दिल जुदा हो गए,
मैं और वह खफा हो गए।
रास्ते भी बदल ली थी हमने, चेहरे भी देखने का नसीब नहीं था हम लोगों को।
क्या बताएं आप लोग को फिर कुछ दिन तक: -
ना नींद थी ना चैन था
ना घर में ना कहीं दुनिया में
एक नया मोड़ आ ही गया
मेरे दिल के सपनों में।
हमने तो जीना सीख लिया उनको बेवफा समझकर।
शायद ,
नसीब में नहीं था यह सोचकर सब भूल गया।
यहीं पर मेरे प्यार की कहानी खत्म हो गई ।
अब ना था प्यार ,ना था जुदाई यह अधूरी कहानी ना जाने किस रब ने बनाए?

जिंदगी जी लो यही काफी है मोहब्बत में ना जाने कितने जान लुटाई है।…………..
Shourya S. Mishra

© shourya s. mishra