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जूठे बर्तन मत छोड़ना...
कनिष्का की जिंदगी में बर्तन धोना कभी प्राथमिकता नहीं रहा। उसकी मम्मी उसे हमेशा डांटती रहती थीं, "रात को बर्तन मत छोड़ा करो सिंक में जूठे। काॅकरोच लग जाते हैं।" लेकिन कनिष्का इसे कभी गंभीरता से नहीं लेती थी। उसे लगता था, "जूठे बर्तनों से आखिर क्या ही हो जाएगा?"
लेकिन आज, उसके हाथ ठंडे पड़ चुके थे। शरीर कांप रहा था। उसकी आंखों के सामने ऐसा कुछ था जिसने उसके रोंगटे खड़े कर दिए थे।

कुछ महीने पहले, उसकी रूममेट शनाया, जो सफाई को लेकर बेहद सनकी थी, एक भयानक हादसे में मारी गई थी। उस रात भी कनिष्का ने सिंक में जूठे बर्तन छोड़ दिए थे। आधी रात में जब शनाया पानी पीने उठी, तो उसने देखा कि बर्तनों पर दर्जनों काॅकरोच रेंग रहे थे। डर और घिन में वह भागने लगी, लेकिन फिसलकर गिरी और सिर पर चोट लगने से वहीं दम तोड़ दिया।
उस घटना के बाद...