...

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पहली सी मोहब्बत
सुबह सुबह मौसम की सुंदरता ने मन मोह लिया है। हर ओर सुहावनी सी हवा चल रही है , जो तपती गर्मी को ठंडी बर्फ सा पिगला रही है।

रमा खिड़की पर खड़ी मौसम का लुत्फ उठा रही है।
पर अचानक उसने कुछ देख लिया है और जो उसे मायूस कर गया है,
वो वहीं बैठे कहीं दूर पहाड़ों में खो गई है
पहाड़ी इलाका जहां हर तरफ हरियाली है वो
अपने दोस्तों के साथ घूमने गई है
हर तरफ चिड़िया , जानवरों की आवाजें कलटलाहट कर रही है और उनसे भी ज्यादा उसके दोस्तों और उसके शोर मचाने की आवाजें पहाड़ों पर घूम रही है।
अचानक उन्हें किसी की आवाज सुनाई दी जो उन्हें कह रहा है चिल्लाओ मत नहीं तो कोई खतरनाक जानवर आप पर हमला कर सकता है ।
पर रमा को तो बस शोर मचाने की पड़ी है वो चिल्लाएं जा रही है तभी उसका हाथ उसके मुंह पर आया और रमा ने उसको गौर से देखा ,
अरे! मैडम इतना मत चिल्लाओ ।
रमा चुप तो हो गई पर वो उसे देखती ही रह गई उसने रमा को देखा और मुस्कुरा कर जल्दी से हट गया उससे दूर।
सब होटल वापिस जा रहे हैं रमा उससे पहाड़ों की जानकारी इकट्ठी कर रही कि और कहां जा सकते वो घूमने , पर वो चुपचाप रमा को घूरे जा रहा है।
सब चले गए जब दुसरे दिन वापिस आए तो वो वहां था ही नहीं, रमा उसे ढुंढ रही है , सब कह रहे हैं छोड़ो उसे वो फिर डांटेंगे कल कि तरह हमें।
पर रमा ढुढती रही नहीं मिला , फिर अचानक वो आया रमा नाम पुछ रही है उससे , वो बता नहीं रहा । सबको वापिस जाना था आज तो वो उनका समान रखने में मदद करने लगा रमा फिर उससे उसके बारे में पुछने लगी तो उसने बस यही कहा कि
"जब भी बारिश आए सोच लेना बादल हूं मैं
जब कभी हवा चले तो सोच लेना मैं अहसास हूं ,
और जब भी कभी मै याद आऊं तो सोच लेना
आपकी पहली मोहब्बत सा हूं मैं।"
तभी रमा उठ खड़ी हो गई फिर खिड़की पर खड़ी होकर भींगी आंखों से मौसम को निहारने लगी।